👉 एक ही परीक्षा एक ही गुढ़ाँक फिर भी बना दिये दो ग्रुप, अच्छे गुढ़ाँक के पुलिस अभर्थियों का आज भी अच्छी शिक्षा का हो रहा है, हनन
👉 2012 में पुलिस बिभाग की भर्ती की जाँच की आंच पड़ी ढंठी, बिना ट्रेनिंग के बन प्रणाम पत्र, अब इनपेक्टर बनने की होड़ में
👉 पुलिस बिभाग के परीक्षार्थी जोकि अच्छे गुढ़ाँक लेकर हुये थे पुलिस में भर्ती अब उनके प्रमोशन पर फिरा पानी
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Sunday, June 05, 2022
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भले ही एक बार फिर भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार बन गई है, परन्तु उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की नीति आज भी हावी है, जहाँ पर सत्ता में आई पूर्ण बहुमत की योगी सरकार आज भी बेबस नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश में सन 2010 में पुलिस बिभाग की नागरिक रेंकर (SIT/ दरोगा) परीक्षा कराई गई थी।
पुलिस बिभाग भर्ती नियमावली अनुसार 50- 50 परसेंटेज यानि की 50 परसेंट परीक्षा देकर जवानिंग करते व 50 परसेंट डारेक्ट शासन की ओर भर्ती होते है तथा बिभाग में कुल 5.200 की बेकेंसी थी तो सन 2001 से 2008 की बेकेंशी थी, जिनमें सन 2010 में नागरिक रेंकर (SIT/ दरोगा) परीक्षा कराई गई जिसमें 3200 परीक्षार्थियों को सफलता मिली। कुछ परीक्षार्थी जिनका 9 नंबर गणित का प्रश्न गलत होने से कुछ परीक्षार्थी फेल हो गये जोकि वह उच्च न्यायलय रिट दाखिल कर दी थी, जिसपर कोर्ट ने स्टे दे दिया। कोर्ट ने कहा कि इन 9 नंबर के परीक्षार्थियों की तीन माह के अन्दर कॉपी जांज लें यदि नंबर आ रहा है तो इन्हें भी ट्रेनिंग को भेजा जाये।
तीन माह तक जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो वह परीक्षार्थी पुनः उच्च न्यायलय की डबल बेंच में रिट दाखिल कर कहा कि उच्च न्यायलय द्वारा दिये गये आदेश पर बिभाग द्वारा कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है, जिस पर मा उच्च न्यायलय की डबल बेंच ने उन 3200 परीक्षार्थियों को भी को ट्रेनिंग से बापस बुला लिया जोकि परीक्षा को पूर्ण अंक से अधिक नंबर प्राप्त कर परीक्षा को पास कर ट्रेनिंग कर रहे थे। 799 परीक्षार्थी जिन्होंने गणित का 9 नंबर कोस्चन गलत होने पर न्यायलय में रिट दाखिल की थी सन 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तथा 3200 सौ परीक्षार्थी जोकि अच्छे नंबर से परीक्षा पास कर ट्रेनिंग कर रहे थे।
इनमें से सबसे अधिक समान्य वर्ग के परीक्षार्थी सामिल थे, तो समाजवादी पार्टी सरकार ने कहा कि सभी ओरिक्सार्थियों की पुनः कॉपी जांची जायेगी, इधर सन 2013 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक श्री अम्बरीश शर्मा ने सर्वोच्च न्यायलय को एक हलफनामा दाखिल कर मा. से कहा कि प्रदेश में 3200 दरोगा ट्रेनिंग करके घर में बैठे है। यदि इनकी बहाली हो जाये तो प्रदेश की कानून व्यवस्था ठीक हो सकती है, मा. सर्वोच्च न्यायलय को मामले की पूर्ण जानकारी ना होने के कारण 3200 परीक्षार्थियों को पुनः ज्वाइनिंग के आदेश दे दिये।
जिसपर पुनः वह 799 परीक्षार्थियों ने मा. सर्वोच्च न्यायलय को पूरा प्रकरण पेश किया तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इनको आमद कर सूचित किया जाये, वहीं सन 2015 में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक जगमोहन यादव ने नियमावली को बदलते हुये परीक्षा पास कर पुलिस बिभाग में जवानिंग करने वाले व शासन से डायरेक्ट ज्वाइनिंग करने वाले दोनों को एक ही बेंच से जोड़ दिया गया, जिससे बिभाग द्वारा कराये गये नागरिक रेंकर (SIT/ दरोगा) परीक्षा के परीक्षार्थियों का शैक्षिक शोषण किया जा रहा है। जबकि, समाजवादी सरकार द्वारा डायरेक्ट पुलिस बिभाग की कराई गई।
भर्ती में उनके स्वजातीय जवान जिन्हें बिना ट्रेनिंग किये ही सीधे जवानिंग में गई जोकि आज प्रमोशन की होड़ में लगे है वहीं दूसरी ओर बिभाग द्वारा कराई गई नागरिक रेंकर की परीक्षा के शैक्षिक अधिकारों का हनन होता आ रहा है, तथा भारतीय जनता के योगी आदित्यनाथ की सरकार पर समाजवादी पार्टी की नीति आज भी हावी है, और मौजूदा सरकार बेवस तमासाबीन बनी है, यदि प्रकरण की जांच की जाये तो सैकड़ों पुलिस कर्मी जोकि बिना ट्रेनिंग के आज दरोगा बनने की होड़ में लगे है वह हवालात की पीछे खडे होंगे