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सिटी मजिस्ट्रेट की तानाशाही झेल रहा परिवार, नियमों को ताक पर रखकर रहे कार्रवाई

रायबरेली। सिटी मजिस्ट्रेट की तानाशाही के चलते सुपर मार्केट में रहने वाले एक व्यवसाई परिवार को परेशानी झेलनी पड़ रही है। न जाने ऐसी जल्दबाजी थी की पांच दिन में ही बिना किसी नोटिस के कुर्क कर मुख्य मार्ग सील करने की कार्रवाई कर दी गई। सारे नियमों को ताक पर रख कर कार्रवाई करने वाले सिटी मजिस्ट्रेट युगराज सिंह की कार्य शैली पर सवालिया निशान लगना शुरु हो गए हैं। गौरतलब है कि सुपर मार्केट निवासी प्रणेन्द्रनाथ त्रिपाठी पुत्र ज्ञानेंद्र नाथ त्रिपाठी जिनका पारिवारिक बंटवारा डा. नरेंद्र नाथ त्रिपाठी व सचिन्द्रनाथ त्रिपाठी के साथ होना है जिसका वाद अभी न्यायालय में लम्बित है। तीनो ही अलग-अलग मकानों में निवास कर रहें है।

नियमत: बिना बंटवारे के कोई भी अपनी संपति नही बेंच सकता। फिर भी डा. नरेन्द्रनाथ व सचीन्द्र नाथ ने सुपर मार्केट स्थित मकान के दो हिस्सो का बिना कब्जा एग्रीमेंट फिरोजगांधी कालोनी निवासी गुरमीत बाबा व एक अन्य को कर दी। उसी को आधार बना कर कब्जा दिलाने वाली पुलिस ने प्रणेन्द्र नाथ व बाबा राघवदास पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरु कर दी। इस खेल मेें सिटी मजिस्ट्रेट की भी भूमिका संदिग्ध है उन्होनें भी बिना किसी नोटिस के मुख्य मार्ग कुर्क करते हुये सील कर दिया एक दुकान भी सील कर दी। जिससे पीड़ित का अपने ही आवास में आवागमन बाधित हो गया है।

आखिर इस केस में क्यों नही हुयी नोटिस के बाद कोई करवाई

जिस तरह मात्र पांच दिन में बिना नोटिस कार्रवाई करने वाले सिटी मजिस्ट्रेट ने इस मामले में नियम विरुद्ध इतनी तेजी दिखाई यही लगता है कोई मामला लम्बित नही रहता होगा। ऐसा नही है जनाब इन्ही के न्यायालय में करीब एक वर्ष से प्रणेन्द्र नाथ की एक दुकान का मामला है जिसमें कार्रवाई मात्र एक नोटिस से आगे नही बढ़ सकी। लेकिन इसमे कुछ लोगो ने ऐसा क्या रस पिलाया की पांच दिन में ही नियम विरुद्ध कार्रवाई पर विवश होना पड़ा। दरअसल एक दुकान सरदार महेन्द्र सिंह को किराये पर दी गयी थी। उनकी मौत के बाद उनके दामाद सुरजीत ने जबरन कब्जा करना चाहा तो पीड़ित ने कार्रवाई की मांग की।

लेकिन यह कार्रवाई बीते एक वर्ष से नोटिस पर ही अटकी है। यह वही युगराज सिंह हैं जो 5 दिन में सब कार्रवाई कर देते। लेकिन यही बात जब बिना कब्जा एग्रीमेंट की एक दुकान की आती है। तो पूरा महकमा सक्रिय हो जाता है। जबकि अभी इन सबके बंटवारे का वाद भी न्यायालय में लम्बित है। फिर भी इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट ने नियमों को ताक में रखकर बिना नोटिस मुख्य मार्गकुर्क का आदेश कर मार्ग व दुकान सील करवा दी। ऐसे जिम्मेदार अधिकारी का ये व्यवहार न्याय पर कुठाराघात है।

नगर मजिस्ट्रेट के रसूख आगे जिला जज का आदेश फेल

सिटी मजिस्ट्रट के रसूख का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की जिला न्यायालय से आदेश के बाद भी ताला नही खुलवाया गया। दरअसल बीती 28 अक्तूबर को सिटी मजिस्ट्रेट ने बिना नोटिस के सुपर मार्केट में प्रणेन्द्र नाथ जिस मकान में रहते है उसके मुख्य मार्ग को कुर्क कर सील कर दिया है। इस पर जब जिला न्यायाधीश ने बीती 5 नवम्बर को सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश को स्थगित करने का आदेश दिया। इस आदेश को 4 दिन बीत रहें हैं लेकिन गेट नही खोला गया। इससे पीड़ित परेशान हैं।उन्हे आवागमन में दिक्कत हो रही है। लेकिन इसके खोलने के आदेश के बाद भी गेट पर लटका ताला न्याय व्यवस्था को मुह चिढा रहा है।

आखिर क्यो नियम ताक पर रख रहे सिटी मजिस्ट्रेट

प्रणेन्द्रनाथ के परिजनों ने जो एग्रीमेंट गुरमीत बाबा आदि के साथ किया उसमें साफ-साफ लिखा है की यह एग्रीमेंट बिना कब्जा है। तो आखिर किस आधार पर पुलिस व नगर मजिस्ट्रेट इस मामले में इस अहम भूमिका निभा रहे हैं। जबकि इन परिवारों का अभी तक कोई बंटवारा नही हुआ है। तीनो लोग अलग-अलग मकान में रहते हैं। सभी मकानों में किसी के हिस्सेदारी का बंटवारा नही हुआ है।इसका वाद अभी न्यायालय में लम्बित है।लेकिन एक ही मकान में ऐसी प्रक्रिया क्या जायज है तीनो मकानो में अभी बंटवारे की प्रक्रिया लम्बित है।ऐसे में पीड़ित को न्याय न मिला तो लोगों का न्यायिक प्रक्रिया से भरोसा उठ जायेगा। इस मामले में एक सन्त बाबा राघवदास को भी लपेटा जा रहा है जबकि इससे इनका कोई लेना देना नही है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

इस मामले में नगर मजिस्ट्रेट युगराज सिंह से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका फोन नही उठा। डीएम वैभव श्रीवास्तव को फोन किया गया तो फोन उनके अर्दली ने उठाया बताया साहब अभी मीटिंग ले रहे है अभी बात करेंगे।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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