तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों से हिंसा के मामले पर राजनीति चरम पर है। तमिलनाडु सरकार ने हिंदी भाषी लोगों से हिंसा के आरोपों से नकार दिया है। हालांकि, वहां से घर लौट रहे डरे-सहमे लोगों ने जो आपबीती बताई है, वो सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी।
मजदूरों का कहना है कि लगातार हिंदी भाषी बिहारी मजदूरों पर हो रहे हिंसक हमलों की वजह से वे बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। स्थानीय लोग उन्हें पकड़-पकड़कर पूछ रहे हैं कि वे कहां से हैं, फिर तमिल में गालियां देकर उनके साथ बुरी तरह मारपीट कर रहे हैं। आलम यह है कि अब तमिलनाडु से मजदूरों ने वापस अपने गृह राज्य बिहार लौटना शुरू कर दिया है। वे ट्रेनों में छिप-छिपकर घर आ रहे हैं।
तरपुर राइस मिल में काम कर रहे सुगौली के सुगांव के उपेंद्र राम ने हिन्दुस्तान से फोन पर बातचीत में बताया कि वे लोग जहां हैं, वहीं से हिंसक घटना की शुरुआत हुई है। लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। डर के कारण कोई मजदूर मिल से बाहर नहीं निकल रहा है। खाने-पीने का सामान मिल मालिक ही उपलब्ध करा रहे हैं। दिन में वे लोग अपना मोबाइल बंद रख रहे हैं। किसी को घर बात करनी होती है तो रात में ही हो पाती है। जोलाब, नामकल, कांगियन, मदुरई, सेलम आदि जगहों पर बड़ी संख्या में मजदूर काम कर रहे हैं।
पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली आसपास के आधा दर्जन गांवों में इस मामले पर चिंता दिख रही है। यहां के दर्जनों लोग तमिलनाडु में मजदूरी करते हैं और कइयों के मोबाइल बंद मिल रहे हैं। सुगौली नगर के निमुई, बेलइठ, बिशुनपुरवा आदि गांवों व प्रखण्ड के कैथवलिया, भवानीपुर, गोड़ीगांवा आदि गांवों के बड़ी संख्या में लोग तमिलनाडु के विभिन्न स्थानों पर मिलों में काम करते हैं। घर के लोग लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, पर हो नहीं रहा है।