राजस्थान में बिहार की तर्ज पर जातिगत जनगणना की मांग उठी है। कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने विधानसभा में यह मांग की। राजस्व और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अनुदान की मांगों की बहस में भाग लेते हुए पूर्व मंत्री और पंजाब के प्रभारी विधायक हरीश चौधरी ने सीएम गहलोत से यह मांग रखी कि केंद्र सरकार से अब जातिगत जनगणना करवाने की उन्हें कोई उम्मीद नहीं है।
ऐसे में राजस्थान सरकार बिहार की तर्ज पर राजस्थान में जातिगत जनगणना करवाएं। पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने इशारों में हनुमान बेनीवाल पर भी नाम लिए बगैर जुबानी हमला किया। उन्होंने कहा कि सीकर में ताराचंद कड़वासरा की हत्या प्रदेश के लिए बड़ा कलंक है।
हरीश चौधरी ने कहा कि हम फोटो लगाने के लिए विधानसभा में जीतकर नहीं आए हैं। हमारा समाज को आगे बढ़ाने के लिए यहां आए हैं। हरीश चौधरी ने राजेंद्र राठौड़ को लेकर कहा कि उपनेता प्रतिपक्ष आज भी उन पर आरोप लगाते है। इनके आरोप के आधार पर ही सीबीआई की जांच भी हो गई।
फैसला जो भी आए, आपको जो आरोप लगाना है, लगा दो. लेकिन मूल मुद्दे और मूल सवाल नहीं टाला जाए। चौधरी ने राजस्थान में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग करते हुए कहा कि ओबीसी का 27% का आरक्षण बै। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की 50% की आरक्षण की कैप के चलते यह आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में विधानसभा और सरकार इस पर चर्चा करें और ओबीसी को उसका पूरा अधिकार मिले।
पंजाब प्रभारी एवं पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि भाजपा के लोग रामराज की बात बहुत करते हैं। हरीश चौधरी ने कहा कि राम राज में समानता की बात थी, लेकिन आज केंद्र सरकार सिर्फ अपने पूंजीपति मित्र कैसे मजबूत हो इस पर ध्यान देती है। जातिगत जनगणना के संदर्भ में केंद्र को अब निर्णय लेना चाहिए, लेकिन मैं राजस्थान सरकार से कहना चाहता हूं कि इनसे आस खत्म हो चुकी है। बिहार की तर्ज पर राजस्थान में भी जातिगत जनगणना करवा कर हमें राजस्थान की स्थिति पता लगानी चाहिए. आज पिछड़ी जातियों की बात तो भाजपा करती है, लेकिन उन पिछड़ों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति क्या है। यह केवल जातिगत जनगणना के आधार पर ही पता लग सकती है।