• सर्वाधिक पुरुष नसबंदी के लिए डॉक्टर मिनी को मिल चुका है सम्मान
• महिला नसबंदी के मुक़ाबले काफी सरल है पुरुष नसबंदी – डॉ मिनी
• पुरुष नसबंदी अपनाने पर मिलती है 3000 रूपए की धनराशि
कानपुर। परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने में धरातल पर उतारने और समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसम्भव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनवरत की जा रही है। यह तभी फलीभूत हो सकता है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने को आगे आयें और उस मानसिकता को तिलांजलि दे दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिधनू में कुछ ऐसा ही सन्देश देकर पुरुष नसबंदी के लिये प्रेरित करती हैं वहां की सर्जन डॉ मिनी अवस्थी।
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डॉ मिनी पिछले 11 वर्षों से सीएचसी बिधनू में कार्यरत हैं। वह पिछले वर्ष जनपद में सर्वाधिक पुरुष नसबंदी करने के लिए डॉ मिनी को मंडल स्तर पर इस वर्ष सम्मानित किया जा चुका है। डॉ मिनी उन कर्मठ सेवा प्रदाताओं में से हैं जो लाभार्थियों को परिवार नियोजन संबंधी परामर्श और सेवाएं देने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं।
उन्होंने वित्तीय वर्ष 2021-2022 में कुल 32 पुरुष नसबंदी और 2022-23 में कुल 35 पुरुष नसबंदी की हैं। इस प्रक्रिया में सबसे पहले उन्होंने उन्हीं महिलाओं को भी पुरुष नसबंदी के बारे में बताना शुरू किया जिनके पतियों की पुरुष नसबंदी होनी थी ताकि पुरुष नसबंदी से संबंधित भ्रांतियों पर उनकी समझ भी बेहतर बन सके। फिर उनके पतियों को बुलाकर उन्हें महिला की चिकित्सीय स्थिति की गंभीरता एवं पुरुष नसबंदी के बारे में परामर्श देकर सेवा प्रदान करना शुरू कर दिया।
डॉ मिनी का कहना है कि होने के नाते पुरुषों को उनकी नसबंदी के लिये प्रेरित करना शुरूआती दौर में मुश्किल था पर अब मानो यह बहुत आसान है। उनका कहना है कि पुरुष नसबंदी चंद मिनट में होने वाली आसान शल्य क्रिया है। यह 99.5 फीसदी सफल है। इससे यौन क्षमता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है।
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उनका कहना है कि इस तरह यदि पति-पत्नी में किसी एक को नसबंदी की सेवा अपनाने के बारे में तय करना है तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी बेहद आसान है और जटिलता की गुंजाइश भी कम है। उनका कहना है कि नसबंदी की सेवा अपनाने से पहले चिकित्सक की सलाह भी जरूरी होती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन का कहना है की परिवार की खुशहाली, शिक्षा, स्वास्थ्य और तरक्की तभी संभव है, जब परिवार सीमित होगा। परिवार को सीमित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास बास्केट ऑफ़ च्वाइस का विकल्प मौजूद है, जिसमें स्थायी और अस्थायी साधनों को शामिल किया गया है। दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखना मां और बच्चे दोनों की बेहतर सेहत के लिए बहुत जरूरी है। जब परिवार पूरा हो जाए तो स्थायी साधन के रूप में नसबंदी का विकल्प चुन सकते हैं।
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एसीएमओ और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ एसके सिंह का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिले में कुल 103 पुरुष नसबंदी हुई । पुरुष नसबंदी के लाभार्थी के खाते में तीन हजार रुपये भेजे जाते हैं। नसबंदी के लिए प्रेरित करने वाले को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित करती हैं तो एक केस पर उन्हें 400रुपये का भुगतान किया जाता है।
झिझक की दूर : दो बच्चों के बाद पुरुष नसबंदी करवाने वाले 32 वर्षीय विनायक साहू का कहना है कि उनके दो बच्चे हैं। छोटा बच्चा दो साल का है। वह मजदूरी करते हैं। उनका कहना है की डॉ मिनी के समझाने के बाद उन्हें छोटे परिवार का महत्व समझ में आया। झिझक इस बात को लेकर थी कि नसबंदी के बाद शरीर कमजोर हो जाएगी। मजदूरी नहीं कर पाएंगे तो परिवार का खर्च कैसे चलेगा। आशा ने समझाया कि यह सब भ्रम है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर