• स्वयं सहायता समूह को जागरूक कर फाइलेरियारोधी दवा खाने-खिलाने को किया प्रेरित
• आगामी 10 अगस्त से स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर खिलाएंगी फाइलेरियारोधी दवा
कानपुर। पतारा ब्लॉक में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था द्वारा गठित फाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क के सदस्यों द्वारा लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करने का काम किया जा रहा है। यह लोग खुद अपनी कहानी सुनाते हुए लोगों को आगामी 10 अगस्त से फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शुरू हो रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान (आईडीए) राउंड के बारे में जानकारी देते हुए फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
इसी क्रम में ग्राम जहांगीराबाद में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जागरूक करने का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें समूह सखी और अन्य पदाधिकारियों ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर श्री हनुमान फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य और फाइलेरिया रोगी यशोदा कुमारी ने बताया कि मुझे करीब 15 सालों से बाएं पैर में फाइलेरिया है।
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15 साल पहले मुझे अचानक एक दिन बहुत तेज बुखार आया उसके बाद मेरा पैर लाल हो गया और सूजन भी आ गई। मैंने एलोपैथिक दवाओं के अलावा आयुर्वेदिक उपचार भी कराया लेकिन कोई आराम नहीं हुआ।मैं 15 सालों से इस बीमारी के साथ जी रही हूं। ऐसे दैनिक काम करने में काफी परेशानी होती थी। करीब तीन माह पूर्व ही मैं श्री हनुमान फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य बनीं, और मैंने बैठकों और प्रशिक्षण में भाग लिया, जिसके बाद मैं खुद इतनी जागरूक हो गई हूं और दूसरों को भी जागरूक करने में सक्षम हूं। इसलिए मैं अब चाहती हूं कि इस बीमारी को लेकर जिन मुश्किलों का सामना मैंने किया है, कोई और उन परेशानियों से न जूझे।
मैंने अनजाने में दवा का सेवन नहीं किया और इस बीमारी से पीड़ित हुई लेकिन अन्य लोग यह गलती न करें। फाइलेरियारोधी दवा का सेवन जरूर करें। आगामी 10 अगस्त से फाइलेरिया से बचाव की दवा आशा द्वारा घर-घर खिलाई जाएगी। सभी से मेरी प्रार्थना है कि आप लोग खुद भी यह दवा खाएं, अपने परिवार और आसपास के लोगों को भी यह दवा खाने के लिए प्रेरित करें। इस मौके पर मौजूद समूह सखियों ने फाइलेरिया रोधी दवा खाने और आईडीए राउंड में सहयोग करने का संकल्प भी लिया।
किसे और कितनी खानी है दवा
कार्यक्रम के नोडल और उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा ने बताया कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। साल में एक बार और लगातार पाँच साल तक फाइलेरिया रोधी दवा खाकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। आईडीए अभियान में आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी।
एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती, एक माह के बच्चे वाली प्रसूता और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी।
साइड इफेक्ट्स से न घबराएं
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया कि दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर