लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा ऑनलाइनआयोजित पांच दिवसीय ‘सीएमएस विजन-2025 लांच समिट – रिइमैजिनिंग ऑवरसेल्व्स’ सम्पन्न हो गई। इस सम्मेलन के अन्तर्गत सीएमएस शिक्षकों व प्रधानाचार्याओं ने भविष्य आधारित पाठ्यक्रम तैयार करने हेतु गहन चर्चा-परिचर्चा की जिससे कि नई चुनौतियों एवं वास्तविकताओं के अनुरूप सीएमएस की शिक्षण पद्धति में में सृजनात्मक बदलाव लाया जा सके।
इस पाँच दिवसीय सम्मेलन के दौरान शिक्षाविदों ने शिक्षा पद्धति में रचनात्मक बदलाव, शिक्षकों के व्यावसायिक कौशल विकास, मूल्यांकन पद्धति में सुधार और वैश्विक नागरिकता शिक्षा आदि विषयों पर व्यापक चर्चा-परिचर्चा कर सुझाव प्रस्तुत किये, जो कि देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में महत्वपूर्ण रूप से शामिल हैं। यह सम्मेलन सीएमएस प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन एवं सीएमएस के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफीसर रोशन गाँधी के कुशल मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए सीएमएस के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफीसर रोशन गाँधी ने कहा कि कोविड-19 के अनुभव ने हमें यह अहसास कराया है कि दुनिया अब पहले जैसी नहीं रहेगी। हमें वर्तमान समय चुनौतियों से निपटने के लिए एक नये शिक्षा पद्धति को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने शिक्षा पद्धति के हाल के रूझानों को समझाते हुए बताया कि कैसे एडटेक की मदद से प्रत्येक छात्र की सीखने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, साथ ही शिक्षकों के समय की बचत, शिक्षण पद्धति में निखार, मूल्यांकन में सुधार आदि मानकों पर अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। खास बात यह है कि एडटेक छात्रों की जरूरत के अनुसार अनुकूल परिस्थितियों में सीखने की क्षमता में वृद्धि हासिल की जा सकती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि एडटेक अनुभव आधारित शिक्षण पद्धति को बढ़ावा देता है, साथ ही छूटे हुए अध्यायों के पुर्नपाठन एवं आपसी चर्चा-परिचर्चा के माध्यम से वैश्विक सोच, रचनात्मकता, सहयोग आदि गुणों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण है।
सम्मेलन के अन्तर्गत सीएमएस प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने ‘शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका’ पर प्रकाश डाला एवं भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शिक्षण पद्धति कीएक रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें 2022 तक शिक्षकों के स्तर को ऊँचा उठाने पर विशेष जोर दिया गया। उन्होंने शिक्षकों के व्यक्तिगत नैतिक गुणों को संस्थान-स्तरीय प्रणालियों से जोड़ने पर जोर दिया जिससे कि शिक्षकों के अपने पूरे करियर में विकास का क्रम अनवरत रूप से जारी रहे। सीएमएस की संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गाँधी ने कहा कि विजन बिल्डिंग में शिक्षकों की राय का विशेष महत्व है क्योंकि शिक्षक समाज में बदलाव के वास्तविक उत्प्रेरक हैं।
सीएमएस संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि शैक्षिक नीति तैयार करते समय हमें उन बच्चों के बारे में सोचने की आवश्यकता है जिन्हें हम पढ़ा रहे हैं और साथ ही उस दुनिया के बारे में भी सोचना होगा जिसमें वे प्रवेश करेंगे। सीएमएस के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस पाँच दिवसीय सम्मेलन के दौरान सीएमएस शिक्षकों ने अपने छात्रों व अभिभावकों से की गई चर्चा-परिचर्चा का ब्योरा व अपने अनुभवों को साझा किया, जिनके आधार पर सीएमएस की नई शिक्षण पद्धति तैयार करने के लिए विस्तार से चर्चा की गई। सम्मेलन के दौरान एडटेक, मेटाकाॅग्नीशन, संरचनात्मक परिवर्तन, आउटडोर एक्टिविटी, जूनियर यूथ एम्पाॅवरमेन्ट प्रोग्राम, चारित्रिक शिक्षा, वैश्विक नागरिकता शिक्षा व सस्टेनबल डेवलपमेन्ट आदि कई विषयों पर गहन चर्चा-परिचर्चा सम्पन्न हुई।