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सांस्कृतिक शाम में दिखीं अवध की लोक परंपराएं

लखनऊ। विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह की सांस्कृतिक शाम सांस्कृतिकी के अंतर्गत वर्तमान और पुरातन छात्र-छात्राओं के हुनर से सजी। जिसमें अवध की सांस्कृतिक विरासत के रंगों को बखूबी पेश किया। दास्तानगोई, कथक और शास्त्रीय गीत-संगीत के रंगों से मालवीय सभागार चटख हो उठा। शुरुआत पुरातन छात्रा ऋतुपर्णा ने मनमोहक देवी स्तुति से की।

इसके बाद ताल से ताल मिला शीर्षक प्रस्तुति में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा नेत्शा और अकांक्षा ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुति से प्रशंसा पाई। एक के बाद एक शानदार प्रस्तुतियों के बाद पूरा सभागार अध्यात्म-भक्ति के रंगों में रंग गया। जब विवि में पढ. रही श्रीलंका की तीक्ष्णा व इहारा ने कैडिंयन डांस में भगवान परशुराम की महिमा का बखान किया।

शहर के युवा रचनाकार विवि के पुरातन छात्र कवि पंकज प्रसून ने अपनी चुनिंदा रचनाओं ने खूब तालियां बटोरी। लोक रंगों से सजी स्थापना दिवस की शाम में पुरातन छात्रा वर्तिका तिवारी व छात्र जय सिंह ने जनकवि प्रदीप के कृतित्व-व्यक्तित्व पर आधारित डॉक्यूमेंट्री दिखाई। जिसमें कवि प्रदीप की वर्तिका ने बताया कि कवि प्रदीप इसी विश्वविद्यालय के छात्र थे। हम सात रिसर्च स्टूडेंट्स ने काव्योम समूह के तहत यह डॉक्यूमेंट्री बनाई है।

विवि में पढ रहे दीपांशी, अनुभूति, महक, आस्था, इहारा और सृष्टि व अन्य ने ऐसा देश है मेरा…गाकर लोगों में देशभक्ति का जोश भरा। डॉ ऋचा आर्य, सत्यम, अनुराधा, मनीषा व अन्य स्टूडेंट्स के समूह ने मनमोहक नृत्य नाटिका में चरवाक दर्शन प्रस्तुति दी। शुजाउर रहमान और शाजिया खान ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी शतरंज के खिलाडी की दास्तानगोई कर सांस्कृतिक शाम को और खुशनुमा बना दिया।

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