पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई समुदाय की लड़कियों पर अत्याचार और जबरन धर्म परिवर्तन के मामले अभी जारी है। हाल ही में सिंध प्रांत के बलूचिस्तान में हिंदू महिला अध्यापिका का जबरन धर्मांतरण करवा दिया गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि उसका नाम बदलकर एकता से आयशा कर दिया गया है।
यही नहीं जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायत के बाद स्थानीय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके अलावा इन मामलों पर प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी चुप्पी साध रखी है। लेकिन अल्पसंख्यकों के लिए काम करने वाली संस्था वॉइस ऑफ माइनॉरिटी ने इस घटना पर चिंता जाहिर की है।
संस्था ने कहा कि पाकिस्तान में जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाना बहुत सामान्य हो चुका है। उन्होंने आगे कहा कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि पाकिस्तान के झंडे से सफेद रंग बिल्कुल गायब हो जाएगा। बता दें कि पाकिस्तान में सफेद रंग अल्पसंख्यकों को दर्शाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मियां मिट्ठू नाम के शख्स ने सिंध प्रांत में खई अल्पसंख्यक लड़कियों का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया है। पिछले दिनों इसी शख्स ने कविता कुमारी नाम की एक लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन करवाकर इस्लाम कबूल करवाया था।
इसके अलावा 2019 में महक केसवानी, दो नाबालिग बहनों रवीना और रीना का अपहरण करवाकर उन्हें इस्लाम कबूल करवाया था। मियां के खिलाफ जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के अब तक 117 मामले दर्ज हो चुके हैं लेकिन आज तक किसी भी मामले को लेकर नहीं हुई है।
हर साल एक हजार लड़कियों का धर्म परिवर्तन
अमेरिकी न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में हर साल 1,000 लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाया जा रहा है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि लॉकडाउन में धर्म परिवर्तन की घटनाएं ज्यादा बढ़ीं। लड़कियों की तस्करी करने वाले अब इंटरनेट पर सक्रिय हैं।