नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य वन विभाग के पास जरूरी तकनीकी विशेषज्ञता के अभाव में आपात परिस्थितियों में अन्य सरकारी विभागों को प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए वन क्षेत्रों में वानिकी गतिविधियों की इजाजत दी जा सकती है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंगलवार को जारी दिशानिर्देशों में विस्तार से उन उपायों का जिक्र किया है जिन्हें वन क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं को रोकने या उनके प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को पत्र लिखकर जंगल में बार-बार आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए प्रभावी उपाय तलाशने और विकसित करने को कहा था।
इसके बाद ये दिशानिर्देश जारी किए गए। इसमें आग लगने की आशंका वाले क्षेत्रों में समय से पहले वन कर्मचारियों को तैयार करने के लिए ‘मॉक ड्रिल’ करने को भी कहा गया है। साथ ही सरकारी विभागों को वन क्षेत्रों में मृदा एवं जल संरक्षण कार्य करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया है।
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मंत्रालय की वन परामर्श समिति की 27 अगस्त को हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे खत में कहा कि वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और संबंधित दिशानिर्देशों के अनुसार आपातकालीन स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाओं में उन वन क्षेत्रों में कुछ वानिकी गतिविधियां की जा सकती हैं, जहां वन्यजीवों, मानव जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है।