सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने सीनियर वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश एक बार फिर केंद्र सरकार को भेजी है। इसके पहले सरकार सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश को नामंजूर कर चुकी है। सौरभ कृपाल हैं, उनका पार्टनर एक विदेशी है, इसलिए सरकार इनकी नियुक्ति के खिलाफ है।
मौजूदा नियम के मुताबिक, सरकार कॉलिजियम की सिफारिश को केवल एक बार नकार सकती है। कॉलिजियम ने दूसरी बार सिफारिश भेजा है तो सरकार के पास उसे मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हां, उस सिफारिश को लंबे समय तक टेबल पर रख सकती है।
सौरभ कृपाल (saurabh kirpal) देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीएन कृपाल के बेटे हैं। इन्हें 2017 से ही दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने का प्रयास जारी है। दिल्ली हाईकोर्ट की कॉलिजियम ने पहली बार 2017 में सौरभ कृपाल को जज बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन आईबी की रिपोर्ट सौरभ के खिलाफ थी, इसलिए बात आगे नहीं बढ़ी। आईबी रिपोर्ट में सौरभ के विदेशी पार्टनर होने को वजह बताया गया था।
कॉलिजियम के सामने हाईकोर्ट जज के लिए सौरभ कृपाल का नाम कई मौकों पर आया। जनवरी 2019, अप्रैल 2019 और अगस्त 2020 में कॉलिजियम की मीटिंग में सौरभ कृपाल के नाम आया। सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम सौरभ कृपाल के नाम पर इस तरह अड़ा था कि आईबी की रिपोर्ट के बावजूद मार्च 2021 में तत्कालीन जस्टिस एसए बोबडे ने सरकार को पत्र लिखकर सौरभ के बारे में स्थिति और स्पष्ट करने का अनुरोध किया था। लेकिन सरकार ने सीजेआई को जवाब में सौरभ के विदेशी पार्टनर वाली बात दोहरा दी।
सरकार की यह आपत्ति सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम के लिए पर्याप्त नहीं थी। इसलिए जस्टिस बोबडे के रिटायर होने के बाद अगले चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली कॉलिजियम ने नवंबर 2021 में सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश भेज दी। सरकार ने कॉलिजियम की सिफारिश नहीं मानी। अब मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली कॉलिजियम ने सौरभ कृपाल के नाम की सिफारिश सरकार को दोबारा भेजा है।
सौरभ कृपाल खुद को समलैंगिक बताते हैं। उनके पार्टनर निकोलस बैचमैन स्विट्जरलैंड के नागरिक हैं और स्विस एम्बेसी में काम कर चुके हैं। सौरभ कृपाल दिल्ली के सेंट स्टीफेंस से ग्रेजुएट हैं और उनकी क़ानून की पढ़ाई ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज से हुई है। सौरभ कृपाल जाने माने वकील, पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के जूनियर रहे हैं और तेज तर्रार वकील माने जाते हैं। सौरभ कृपाल का एक और परिचय भी है। समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की क़ानूनी लड़ाई में सौरभ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।