रायबरेली। योगी सरकार के नकल रोकने के सारे दावों पर सरकार के ही अधिकारियो ने पानी फेर दिया। U.P Board परीक्षा में नकल विहीन परीक्षा कराने के दावे भले ही हुए हो लेकिन परीक्षा परिणामों ने सारे दावों की हवा निकाल दी है।
U.P Board ने दिखाई दरियादिली, मूल्यांकन केन्द्रों से लेकर यूपी बोर्ड तक नंबर बढ़ाने का खेल
योगी सरकार के नकल विहीन परीक्षा के दावों पर पानी फेरते हुए U.P Board ने फेल परीक्षार्थियों को मनमर्ज़ी नंबर बढाकर पास कर दिया। पास करने में एक, दो नहीं बीस से पच्चीस नंबर तक बढ़ाए गए। इसका खुलासा तब हुआ जब आगरा जनपद के एक केंद्र की कापियों का मुल्याकंन करने वाले शिक्षकों ने नेट पर परीक्षार्थियों की मार्कशीट देखी। मार्कशीट के अंक देख शिक्षकों के भी होश उड़ गए। वहीं यूपी बोर्ड में हुए बड़े खेल का खुलासा भी हो गया है।
परीक्षकों के एवार्ड ब्लैंक की फोटो खींचने से हुआ ये खुलासा
प्रदेश सरकार भले ही परीक्षा की सुचिता का दावा कर रही है लेकिन यूपी बोर्ड में भारी अनियमितताएं बरती गईं। रायबरेली जिले में आगरा जनपद के एक केन्द्र की कांपियां चेक होने आई थी। कापियां चेक करने के दौरान एक परीक्षक ने रसायन विज्ञान के द्वितीय प्रश्नपत्र की कापियों का मूल्यांकन करने के बाद उनके एवार्ड ब्लैंक (बोर्ड को नंबर अंक भेजने वाला पत्र) ओएमआर सीट की फोटो खींच ली।
परिणाम आने के बाद देखा गया तो बोर्ड का अजब खेल दिखाई पड़ा। एवार्ड ब्लैंक में जिन छात्रों को 3 नंबर मिले, उन्हें इंटरनेट पर मौजूद अंक पत्र में 23 नंबर दिए गए। इसी तरह 6 नंबर वाले को 26, 9 को 29, 8 को 28, 4 को 24, 5 को 25, 10 से 20 का क्रम रहा।
कुल मिलाकर सभी ऐसे छात्रों जिनको परीक्षकों ने फेल किया था उन्हें यूपी बोर्ड ने पास कर दिया। यहां तक की कुछ उत्तीर्ण छात्रों के भी नंबर बढ़ाकर अंकित किए गए। इससे साफ हो गया कि यूपी बोर्ड में किस तरह का परिणाम जारी किया गया। यह तो केवल एक मात्र उदाहरण है, इसी तरह का खेल लगभग सभी विषयों में किया गया। इंटरनेट पर निकले अंक पत्र व बोर्ड को भेजे गए अंकों में इतने अंतर ने यूपी बोर्ड की शुुचिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया। सरकार भले ही लाख दावे करे लेकिन बिहार की तरह यूपी में भी पास करने का खेल जमकर हुआ है।
नकल विहीन हाईटेक अभियान के अंतर्गत परीक्षा
इस बार की परीक्षा सीएम योगी के कई बड़े फैसलों पर केंद्रित रही। जिसमें नकल विहीन हाईटेक अभियान चलाया गया था। जिसके लिए कई एजेंसियों के साथ डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने खुद इसकी कमान संभाली थी। जिससे नकल के भरोसे रहने वाले छात्र पहले ही परीक्षा छोड़ भागे। सख्ती के कारण बीच में ही परीक्षा छोड़ने वालों में लगभग 12 लाख परीक्षार्थी शामिल थे। सरकार की तरफ से कहा गया कि इस बार 99 प्रतिशत नकल विहीन परीक्षा संपन्न कराई गई है।
सरकार के नकलविहीन परीक्षाएं संपन्न कराने के बावजूद इस तरह की धांधली एक बार फिर अफसरों द्वारा योगी सरकार के फैसलों की अनदेखी को दर्शाता है। अब ये देखना महत्वपूर्ण होगा की सरकार इस तरह की धांधली पर कैसे नकेल कस पाती है। क्योंकि अभी तक परीक्षा केंद्रों तक की धांधली देखी जाती थी किन्तु सीधे यूपी बोर्ड में सेंध लगने से एक बार फिर सरकार के पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
हाईस्कूल में कुल 36 लाख 56 हजार 272 छात्रों में से लगभग 23 लाख छात्र पास हुए, जबकि इंटरमीडिएट में लगभग 30 लाख छात्रों में से करीब 19 लाख छात्र सफल रहे। हालांकि इस बार पिछले साल के मुकाबले 10वीं का रिजल्ट 6% और 12वीं का रिजल्ट 10% कम रहा।
रिपोर्ट – दुर्गेश मिश्रा