● लोग ग्रीन एनर्जी रिन्यूएबल एनर्जी सॉल्यूशंस के प्रति हो रहे हैं जागरूक
लखनऊ। सीओपी26 के साथ विभिन्न प्लेटफार्मों पर कार्बन न्यूट्रेलिटी और सस्टेनेबिलिटी के बारे में बात हो रही है और इसको लेकर पूरे देश में जागरूकता का स्तर काफी अधिक बढ़ा है। लोग अपने घरों और ऑफिस आदि के लिए सोलर आधारित बिजली सॉल्यूशंस अपनाने के अलावा अब सोलर सिस्टम्स को विवाह, त्योहारों और अन्य कई तरह के उत्सवों जैसे जन्मदिन और वर्षगांठ आदि के अवसरों पर उपहार में दे रहे हैं।
इस नई उभरते ट्रेंड्स को स्टार्टअप सोलर टेक कंपनी लूम सोलर द्वारा एक स्वागत योग्य कदम के रूप में देखा जा रहा है जो यह सुनिश्चित कर रही है कि सोलर सॉल्यूशंस के बारे में समझ और नॉलेज हर उस व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए जो सोलर एनर्जी को एक बेहतर समाधान के रूप में देख रहा है। ऐसा करने के लिए लूम सोलर विभिन्न उपयोग के मामलों और सोलर सिस्टम्स की स्थापना सहित बुनियादी समझ के लिए संबंधित और उपयोगी डिजिटल सामग्री तैयार कर रहा है।
लूम सोलर के सह संस्थापक और डायरेक्टर आमोद आनंद ने कहा कि हमें इस तरह के शानदार और उपयोगी उपहार देने के बढ़ते चलन को देखकर काफी सुखद आश्चर्य हुआ, जिसे हम वास्तव में उत्साहजनक पा रहे हैं और हमें उम्मीद है कि सोलर बेस्ड बिजली समाधानों को बढ़ावा देने के इस मिशन में अधिक लोग शामिल होंगे। सोलर गिफ्टिंग यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में सबसे पसंदीदा विकल्प के रूप में 50 डब्ल्यू से 180 डब्ल्यू की क्षमता वाले पैनल के साथ तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है।
आमोद ने आगे कहाकि सोलर पैनलों को उपहार में देने का विचार यह बताने में एक लंबा रास्ता तय करता है कि कैसे लोगों ने अपनी भूमिका को समझना शुरू कर दिया है और जलवायु परिवर्तन में योगदान दे रहे हैं। यह एक स्वागत योग्य कदम है, जिसकी प्रत्येक व्यक्तिगत स्तर पर योगदान के व्यापक उद्देश्य के लिए सराहना की जानी चाहिए।
लूम सोलर ने भारत के लिए सौर क्षेत्र में कई तकनीकी पहलों को पेश किए हैं, जिनमें सबसे नई एक उच्चतम दक्षता वाला सौर पैनल है जिसे उनके द्वारा भारतीय बाजार में पेश किया गया है। इसमें नवीनतम शार्क सीरीज बाइफेशियल 400 वॉटसे 530 वॉट शामिल है जो सोलर पैनलों के सामने और पीछे से यानि दोनों तरफ से बिजली का उत्पादन करने में मदद करता है। ये पैनल रूफटॉप स्पेस के लिए नवीनतम टेक्नोलॉजिकल समाधान की तलाश करने वाले घरों के लिए पसंदीदा समाधान रहे हैं।