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गोपाष्टमी: धर्म, अर्थ और सौभाग्य की प्रदाता हैं गाय

   दया शंकर चौधरी

सनातन धर्म में वैसे तो सदैव ही गौ माता की पूजा का विधान बताया गया है लेकिन कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार गोपाष्टमी 11 नवंबर (गुरुवार) को मनाई जाएगी। गोपाष्टमी के संबंध में मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण जी इसी दिन गौ चारण के लिए पहली बार घर से निकले थे। गोपाष्टमी के दिन गौ माता के साथ बछड़े का पूजन भी किया जाना चाहिए। सनातन धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। मान्यता है कि यदि गोपाष्टमी के दिन विधि-विधान से गाय का पूजन व सेवा की जाए तो देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गाय की पूजा करने से श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। गोपाष्टमी पर गाय की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और शांति का वास होता है। गोपाष्टमी के दिन गौ माता व गिरधर की पूजा करने के साथ ही कथा भी पढ़नी चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

गो-वर्धन का वास्तविक अर्थ केवल गाय के गोबर से कोई आकृति बना कर उसकी पूजा तक सिमट कर रह जाने का नहीं है, बल्कि वास्तव में देसी गोवंश की वंश वृद्धि से है। जिस पर भारत में ध्यान सबसे कम दिया जा रहा है। केवल देसी गो वंश के गोबर में ही सकारात्मक मित्र जीवाणुओं की अधिकता होने के कारण उसका उपयोग धरती के भोजन के रूप में किया जाना चाहिए। देशी गाय के गोबर से धरती की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। आज के वैज्ञानिक भी गाय को एक अद्भुत प्राणी बता रहे हैं। आइये जानते हैं कि आखिर गायों को देवी और देवता तुल्य क्यों माना जाता है।

गाय के रीढ़ में सूर्यकेतू नाड़ी होती है। जिसमें सर्वरोगनाशक और सर्वविषनाशक गुण होते हैं। सूर्यकेतू नाड़ी जब सूर्य की रोशनी के संपर्क में आती है तो स्वर्ण का उत्पादन करती है। ये स्वर्ण गाय के दूध, मूत्र और गोबर में मिल जाता है। इस तरह गाय के मिलने वाले इन चीजों का विशेष महत्त्व होता है। इसका इस्तेमाल रोजमर्रा के जीवन में हमारे पूर्वज करते आए हैं। वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुका है कि गाय एकमात्र ऐसा पशु है जो ऑक्सीजन लेता है और छोड़ता भी है। बावजूद इसके मनुष्य सहित दूसरे प्राणी ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। इस तरह गाय के आसपास रहने से ही ऑक्सीजन की भरपुर मात्रा पाई जा सकती है।

हालांकि गाय के संरक्षण और संवर्धन के लिए उत्तराखंड सरकार ने गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने वाला प्रस्ताव पारित करके केन्द्र को भेज दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की दलील दी है। उत्तर प्रदेश में लोक परमार्थ सेवा समिति के द्वारा एक लम्बे अरसे से गाय को राज्यमाता का दर्जा प्रदान किए जाने की मांग की जा रही है। समिति का मानना है कि गाय को पशु की श्रेणी से बाहर रखकर राज्यमाता का दर्जा प्रदान किया जाना चाहिए। पशु की श्रेणी में रहने से गाय के लिए अलग से कोई नीति नहीं बनाई जा रही है। पशुपालन विभाग के पास गाय के अलावा अन्य पशुओं की भी जिम्मेदारी होती है। ऐसे में गाय के लिए अलग से मंत्रालय बनाये जाने, नीति निर्धारित करने और कानून बनाये जाने की जरूरत है।

बावजूद इसके उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गो-हत्या के खिलाफ क्रांतिकारी कदम उठाया है। गोवध करने वालों को 10 साल की जेल और 5 लाख जुर्माना लगाया जाएगा।जबकि गाय के शरीर के अंग भंग करने पर 7 साल की जेल और 3 लाख तक जुर्माना लगेगा। यूपी में अब गोकशी का अपराध गैर जमानती होगा। पहली बार गोकशी का आरोप साबित होने पर 3 साल से लेकर 10 साल की सजा का प्रावधान है। 3 लाख से लेकर 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है।

दूसरी बार गोकशी का आरोप साबित होने पर जुर्माने और सजा दोनो भुगतनी होंगी। गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई और संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान किया गया है। गोवंश का अंग भंग करने और जीवन को खतरा पैदा करने के आरोपी को 1 से लेकर 7 साल तक की सजा और 1 लाख से लेकर 3 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे में गो-हत्या के खिलाफ सीएम योगी के इस कदम को क्रांतिकारी माना जा रहा है।

सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। इसके अलावा भारत में गाय का `संरक्षण` जरूरी क्यों है। ऐसे में कुछ अहम तथ्यों को जानना जरूरी है। भारत में पशुओं की संख्या तकरीबन 53 करोड 67 लाख 61 हजार के आस पास है, तो वहीं हमारे देश में गाय की तादाद 19 करोड़ 34 लाख 62 हजार 8 सौ के आस पास है।

ऋग्वेद में लिखा है, गायों ने आकर हमें सौभाग्य दिया है, आप हमारे घर में वास करें और हमें सुख-समृद्धि दें। वैदिक साहित्यों में भी गाय और गोवंश का उल्लेख किसी भी अन्य जानवर से अधिक हुआ है। गाय पीने के लिए दूध, पूजा के दीपक के लिए घी और चूल्हे के लिये गोबर देती है। गाय के दूध से देश के लाखों परिवारों की जीविका चलती है।

गाय का आर्थिक मूल्य अन्य किसी भी जानवर से अधिक माना गया है। भारत में गायों के 1 साल के गोबर का आर्थिक मूल्य करीब 5000 करोड़ रुपये है। गाय के गोबर का ईंधन 50 मिलियन टन जलाऊ लकड़ी की बचत करता है। योगी सरकार के इस कानून की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है कि खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार फर्जी गोरक्षकों को चेतावनी दी है।

गोपाष्टमी पर ऐसे करें गौ माता की पूजा: अष्टमी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्वयं स्नानादि करना चाहिए और भगवान कृष्ण के समक्ष दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इसके बाद गाय और उसके बछड़े को नहलाकर तैयार करना चाहिए और गाय को घुंघरू आदि पहनाने चाहिए। गाय को आभूषण या फूलों की माला पहनाकर श्रंगार करें। गौ माता के सींग रंगकर उनमें चुनरी बांधे। अब गाय भलिभांति गाय का पूजन करें और भोजन कराएं। इसके बाद गाय की परिक्रमा करनी चाहिए। गोधूलि बेला में पुनः गाय का पूजन किया जाता है और उन्हें गुड़, हरा चारा आदि खिलाएं। यदि आपके घर में गाय न हो तो किसी गौशाला में जाकर गाय का पूजन करना चाहिए।

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