नई दिल्ली। देश में treatment की मंहगाई पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि उसे कुछ न कुछ करना चाहिए। दवाओं की महंगाई और डाक्टरों की फीस के तले दबकर आम आदमी का इलाज करा पाना मुश्किल साबित होता है। ऐसे में सरकार को निजी अस्पतालों की लूट पर लगाम लगाने के लिए जरूरी कदम उठाने जरूरी हैं। इसके साथ सरकारी अस्पतालों में दवाओं और इलाज की उचित सुविधाओं को उपलब्ध करवाना उससे भी ज्यादा जरूरी है कि लोगों को समस्याएं न आये। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण ने हाल ही में कहा था कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के चार निजी अस्पतालों में मरीजों से लिये जाने वाले बिल में गैर अनुसूची वाली दवाओं और जांच की कीमत में सबसे बड़ा हिस्सा होता है जिसमें लाभ 1192 प्रतिशत तक का होता है।
- ऐसे में यह आम जनता से महालूट है।
- जिस पर रोक लगाना जरूरी है।
treatment में मरीजों से खरीद दाम से सैकड़ों गुना वसूली
राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल मूल्य प्राधिकरण के विश्लेषण के अनुसार जीवन के लिये खतरा होने वाले निम्न रक्तचाप के उपचार के लिये आपात मामलों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं में लाभ 1192 तक लिया जा रहा है।औषधि मूल्य नियामक ने भी हाल ही में कहा था कि ऐड्रनार 2 एमएल के इंजेक्शन का अधिकतम खुदरा मूल्य 189.95 रूपए है।
- अस्पतालों के लिये इसका खरीद मूल्य 14.70 रूपए होता है।
- मरीजों से कर सहित 5,318.60 रूपए वसूले जाते हैं।
- जो कि सैकड़ों गुना अधिक है।
भारत में महंगाई के कारण लोगों को नहीं मिला पाता इलाज
भारत में महंगाई के कारण लोगों को इलाज नहीं मिल पाता है। क्योंकि यहां मेडिकल उपचार की लागत बहुत ही ज्यादा है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘ भारत में मेडिकल उपचार की लागत बहुत ही ज्यादा है।
- जनता को ज्यादा कीमत होने से मेडिकल उपचार नहीं मिल पा रहा है।
- सरकार को इस संबंध में कुछ न कुछ करना चाहिए।’
जनता के स्वास्थ्य पर प्रदूषण के असर
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब पीठ ने केन्द्र से जानना चाहा कि क्या उसने जनता के स्वास्थ्य पर प्रदूषण के असर और ऐसी बीमारियों के इलाज पर खर्च होने वाली रकम के बारे में कोई अध्ययन कराया है। इस पर केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ए एन एस नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि जनता के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव का कुछ अध्ययन हुआ है।
- अभी भी कुछ अध्ययन जारी हैं।
- पीठ ने केन्द्र से कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिये उठाये जा रहे हैं।
- कदमों का व्यापक प्रचार होना चाहिए।
- जनता को यह पता चल सके कि इस मामले में कुछ किया जा रहा है।