लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा है कि आज लोहड़ी का पवित्र पर्व है आज ही के दिन किसान इस पर्व पर जश्न मनाते हैं किंतु केंद्र सरकार ने उनके इस पर्व को बर्बाद कर दिया है। श्री सिंह ने कहा है कि आज का दिन किसानों के लिए किसी दीपावली या होली जैसे त्यौहार से कम नहीं होता है। श्री सिंह ने आगे कहा है कि उसका जुड़ाव अन्नदाता किसान और उसकी फसल से होता है। आज लाखों किसान अपने घरों से दूर कड़कड़ाती ठण्ड में अपनी फसल और अपनी जोत को बचाने के लिए, अपने हकों के लिए खुली छत के नीचे बैठे हुए हैं।
किसान आंदोलन राष्ट्रविरोधी कॉर्पोरेट ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, जिसकी सरकार पिछलग्गू बनी हुई है। इस सरकार के पास 70 से ज्यादा किसानों की मौतों के लिए भी कोई संवेदना नहीं है। देश के किसान समुदाय के पास इन काले कानूनों के खिलाफ देशव्यापी संघर्षों को तेज करने के सिवा और कोई विकल्प नहीं है। और इस कमेटी के पास किसान संगठनों के जाने का तो कोई सवाल ही नहीं है।
आज गाजीपुर बॉर्डर से जारी एक बयान में कहा है कि इस कमेटी के सदस्यों की इन काले कानूनों के प्रति और कॉर्पोरेट लॉबी के प्रति प्रतिबद्धता सर्वविदित है और इससे किसानों को किसी प्रकार की निष्पक्षता की आशा नहीं है, जो कृषि और समूची अर्थव्यवस्था के कारपोरेटीकरण के खिलाफ लड़ रहे हैं। इस कमेटी का एक भी सदस्य ऐसा नहीं है, जो किसान आंदोलन की चिंताओं से साझा करता हो। इस प्रकार की कमेटी का गठन करके सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं अपनी बची-खुची साख भी गंवा दी है।
उन्होंने कहा है कि इस देश की संप्रभुता जनता में निहित है और इसको चुनौती देने वाली सरकार और उसके कानून को मानने के लिए जनता बाध्य नहीं है। इस कमेटी के गठन का जो स्वरूप है, उससे साफ है कि देशव्यापी किसान आंदोलन को शांत करने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट सरकार के मोहरे की तरह काम कर रही है।
ऐसी संवेदनहीन सरकार के खिलाफ किसान विरोधी काले कानूनों की वापसी तक लड़ाई जारी रहेगी और यह लड़ाई दिल्ली में डटे किसानों के साथ ही पूरे देश में लड़ी जाएगी। ये कानून कॉर्पोरेटपरस्त है, हमारे देश की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण जन जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा है और इसलिए इन्हें वापस लिया जाना चाहिये।