मुरादाबाद। ग्रीन हाइड्रो एनर्जी का जीरो कार्बन एनर्जी जनरेशन के लक्ष्य में अनमोल योगदान है। ऐसे में यदि यह कहें, हाइड्रोजन एनर्जी भविष्य का ईंधन है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वैश्विक स्तर पर मात्र 06 प्रतिशत ही हाइड्रोजन एनर्जी का उपयोग हो रहा है। हाइड्रोजन एनर्जी निर्माण में नैनो टेक्नोलॉजी बहुपयोगी है, लेकिन हाइड्रोजन एनर्जी बहुत मंहगी है। दुनिया का लक्ष्य 2031 तक एक किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत को एक डॉलर में लाना है।
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ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी से लाभ-ही-लाभ हैं। यह नवीनीकरणीय ऊर्जा है। पारंपारिक ऊर्जा- कोयला, खनिज तेल सरीखे के मुकाबले में इसका भंडार असीमित है। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (TMU) के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग-एफओई की ओर से मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज़ पर आयोजित दो दिनी 05वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस में देश भर के विशेषज्ञों का यही सार है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस-एनसीएमडी 2025 के चार सत्रों में 98 रिसर्च पेपर्स, जबकि 36 पोस्टर प्रस्तुत किए गए। रिसर्च पेपर प्रजेंटेशन में एमआईटी, पुणे की हिमांगी नेवे, जबकि पोस्टर प्रजेंटेशन में एएमयू, अलीगढ़ के अरबाज़ खान विजेता रहे। कॉन्फ्रेंस के वैलिडेटरी सेशन में हैदराबाद यूनिवर्सिटी के डॉ एके चौधरी, जाधवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता के प्रो केके चटोपध्याय, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ के प्रो अनुज कुमार, दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली के प्रो मोनू मिश्रा आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। संचालन रिसर्च स्कॉर्ल्स- महक पराशर और अंजलि ने किया।
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जाधवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता के प्रो केके चटोपध्याय ने डिजाइन्ड नैनो मैटेरियल्स फॉर ग्रीन एनर्जी एप्लिकेशन्स पर बोलते हुए ग्रीन हाइड्रो एनर्जी की पुरजोर वकालत की। प्रो केके बोले, रिन्यूएबल एनर्जी को डायरेक्ट उपयोग नहीं किया जा सकता। इसके लिए हमें डिवाइसेज़ की जरूरत होती है। बेस्ट डिवाइसेज़ के निर्माण में उत्कृष्ट मैटेरियल का प्रयोग किया जाना चाहिए। नैनो टेक्नोलॉजी ग्रीन एनर्जी में अहम रोल अदा करता है। पानी से हाइड्रोजन को अलग करने में नैनो टेक्नोलॉजी अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
एनआईटी, जालंधर के डॉ आशीष रमन ने सब-माइक्रो मीटर नैनो स्केल डिवाइसेज़ एंड इंटीग्रेटेड सर्किट फ्यूचर ट्रेंड्स पर बोलते हुए कहा, नैनो स्केल डिवाइसेज़ से लार्ज स्केल इंटीग्रेशन से डिवाइस का साइज छोटा हो जाता है। इससे डिवाइस की क्षमता बढ़ जाती है। रिसर्च पेपर प्रजेंटेशन में एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर की कुमारी धूमा सेकेंड और तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) के डॉ कौशलेन्द्र कुमार मिश्रा थर्ड स्थान पर रहे।
पोस्टर प्रजेंटेशन में बीएचयू वाराणसी के शिवम त्रिवेदी ने दूसरा और टीएमयू, मुरादाबाद के कैलाश कुमार ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। कॉन्फ्रेंस में डॉ अनुराग वर्मा, डॉ पीयूष मित्तल, डॉ अमित शर्मा, डॉ दिप्तोनल बनर्जी, डॉ पवन कुमार सिंह, उमेश कुमार सिंह, डॉ पराग अग्रवाल, डॉ विष्णुप्रसाद श्रीवास्तव, डॉ अलका वर्मा, डॉ अजय कुमार उपाध्याय, डॉ शुभेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ देवंजन रॉय, राहुल विश्नोई, डॉ आलोक गहलोत आदि उपस्थित रहे।