जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) के दो वर्ष सारे होने पर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बोला कि GST की एकीकृत व्यवस्था आने के बाद 20 राज्यों के राजस्व में स्वतंत्र रूप से 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जेटली ने फेसबुक की एक पोस्ट के जरिये बताया कि कर पेयर्स का आधार GST के आने के बाद 8.4 फीसदी से 1.2 करोड़ तक बढ़ा है।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वित्तीय साल 2017-18 में जुलाई से मार्च महीने के बीच आठ महीनों का औसत राजस्व 89,700 करोड़ प्रति महीना रहा। इसके बाद अगले वित्त साल 2018-19 में यह 10 फीसदी बढ़कर 97,100 हो गया। बताते चलें कि वर्ष 2014-2019 के बीच अरुण जेटली ही वित्त मंत्री थे जिनके कार्यकाल में GST लागू हुआ। इसके बाद देश की अर्थव्यवस्था कई महीनों तक निर्बल भी रही थी। इस कानून का विरोध भी हुआ। मगर कुछ समय बाद ही दिक्कतों का निवारण तो हुआ ही साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में दोबारा जीत भी हासिल कर ली।
जीएसटी की एक समान दर संभव नहीं
जेटली ने अपनी बात दोहराते हुए बोला कि ऐसा देश जहां बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं, वहां GST की एक समान दर संभव नहीं है। उन्होंने बोला कि एक हवाई चप्पल व मर्सडीज कार पर एक ही दर से कर नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि जेटली ने माना कि कर स्लैब के पुनर्गठन की आवश्यकता है व इसकी प्रक्रिया चल रही है।उन्होंने GST प्रक्रिया को दो स्लैब के ढांचे में रखने की बात कही।
जेटली ने बोला कि लग्जरी को छोड़कर 28 फीसदी स्लैब समाप्त हो जाएगा। इसके अतिरिक्त शून्य और पांच फीसदी स्लैब हमेशा रहेगा। इसके बाद जब राजस्व बढ़ेगा तो नीति नियंताओं के पास 12 व 18 फीसदी के स्लैब को आपस में मिलाकर एक ही करने का मौका होगा। इस तरह से GST के तहत केवल दो कर ही देने होंगे।