लखनऊ। सिखों के तीसरे गुरु साहिब श्री गुरु अमरदास जी का गुरु गद्दी दिवस ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी श्री गुरू सिंह सभा, नाका हिंडोला में शनिवार को बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
प्रातः का विशेष दीवान 6.00 बजे श्री सुखमनी साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जो 10.30 बजे तक चला। जिसमें रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में शबद कीर्तनः- ‘भले अमरदास गुण तेरे, तेरी उपमा तोहे बन आवै।’ गायन कर समूह साध संगत को निहाल किया। मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने साहिब श्री गुरु अमरदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु जी का जन्म अमृतसर में हुआ था। आपके पिता जी का नाम श्री तेजभान जी व माता जी का नाम सुलखणी जी था। आप का जीवन बड़ा महान था, कहते है कि जब तक मनुष्य को मन की शान्ति नहीं मिलती तब तक मनुष्य इधर-उधर भटकता रहता है।
इनका जीवन भी कुछ ऐसा ही था गुरुगद्दी पर आसीन होने से पहले आप जी ने कई बार तीर्थो की यात्रा की, पर मन को शान्ति न मिल सकी। एक बार अपने घर मे ही गुरु अंगद देव जी की सपुत्री बीबी अमरो जी से गुरु जी की बाणी सुनीे और गद्गद हो गये, पूछने पर पता चला कि यह श्री गुरु नानक देव जी की बाणी है,उनकी गद्दी पर श्री गुरु अंगद देव जी विराजमान हुए हैं। आपने खडूर साहिब में आकर गुरु जी के दर्शन कर निहाल हुए, तभी से श्री गुरु अंगद देव जी की सेवा में जुट गये। उस समय आपकी उम्र 62 वर्ष की थी इतनी उम्र मे आधी रात को उठकर ब्यास दरिया से पानी का कलश लाकर रोज गुरु जी कोे स्नान कराते थे और दिन रात उनकी सेवा मे जुटे रहते थे 72 वर्ष की आयु में सेवा करते देखकर श्री गुरु अंगद देव जी ने आपको गुरु गद्दी सौंप दी और ये निआसरों के आसरे, निमानियों के मान, नितानियों के तान श्री गुरु अमरदास जी बन गये। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया।दीवान की समाप्ति के पश्चात लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने आई साध संगत को साहिब श्री गुरु अमरदास जी के गुरु गद्दी दिवस की बधाई दी उसके उपरान्त चाय का लंगर श्रद्वालुओं में वितरित किया गया।
रिपोर्ट-दयाशंकर चौधरी