देहरादून। राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। वो भी तब जब चुनाव सर पे हों। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक तरफ़ यू.पी. की राजनीति में भाजपा को स्वामी प्रसाद से झटका मिला। वहीं दूसरी तरफ़, उत्तराखंड में भाजपा को अपने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को 6 सालों के लिए बर्खास्त करना पड़ गया। अब तो लगभग ये भी तय हो चुका है कि हरक सिंह कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं।
दरअसल, हरक सिंह रावत ने भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी थी। उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए तीन टिकट की शर्त रखी थी। साथ ही कांग्रेस में उनके शामिल होने की अटकलें भी तेज़ हो रही थीं। उनकी अन्य पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी के प्रदेश नेताओं और हरक सिंह रावत के बीच तनाव बढ़ गया था। अब पार्टी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है।
कोर ग्रूप की बैठक में नहीं हुए शामिल, सीधे दिल्ली पहुँचे रावत
बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पर कोर ग्रुप की शनिवार को बैठक थी। इसमें पार्टी नेताओं से नाराज़गी के चलते हरक सिंह रावत शामिल नहीं हुए। वह रविवार को सीधे अमित शाह समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं से अपनी बात कहने दिल्ली पहुंच गए थे। जहाँ उनके साथ बहू अनुकृति गुसाईं और विधायक उमेश शर्मा काऊ मौजूद थें। इससे पहले कि हाईकमान से उनकी मुलाकात हो पाती, कांग्रेस में जाने की अटकलों व अन्य पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन्हें पार्टी से 6 सालों के लिए बाहर कर दिया गया है।
पहले दो फिर तीन टिकट के लिए अड़ गये थे हरक सिंह
चर्चा है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में पहले दो फिर तीन टिकट के लिए अड़ गए थे। उन्होंने अपने लिए केदारनाथ सीट के साथ बहू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडाउन सीट से टिकट मांगी थी। साथ ही वह यमकेश्वर से भी टिकट की मांग कर रहे थे। लेकिन इससे पार्टी के अंदर ही विरोध शुरू हो गया। इस पर पार्टी ने भी स्वीकृति नहीं दी। इससे हरक सिंह रावत काफी नाराज़ थे। साथ ही उचित हल नहीं निकलने पर कांग्रेस में वापसी के भी संकेत दे रहे थें।