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फेसबुक के इस वीडियो ने एक शख्स को अपने परिवार से मिलाने में की मदद, जानिये कैसे…

दुनियाभर में कुछ ऐसे लोग है जो घर से निकलने के बाद कभी अपने घर वापस नहीं लौट पाए और उनके परिजनों को उनका पता कभी भी नहीं लग पाया है, ऐसे ने किसी का 48 साल बड़ा अपने परिवार से मिलना कुदरत का करिश्मा से कम नहीं लगेगा, लेकिन इस बार ये कमाल सोशल मीडिया प्लेटफार्म की वजह से हुआ है. आपको बता दें कि इस बार फेसबुक की एक वीडियो ने एक शख्स को अपने परिवार से मिलने में मदद की है.

आपको बता दें कि एक बांग्लादेशी व्यक्ति जो व्यावसायिक यात्रा के लिए घर से तो निकला, लेकिन कभी वापस नहीं आया, वह व्यक्ति आखिरकार 48 साल बाद फेसबुक के एक वीडियो के माध्यम से अपने परिवार से मिल सका। यह जानकारी मीडिया के हवाले से मिली है।समाचारपत्र द डेली स्टार की शनिवार की रिपोर्ट के अनुसार, हबीबुर रहमान सिलहट स्थित अपने गृहनगर बजग्राम में रॉड और सीमेंट का व्यापार करता था।

वहीं 30 वर्ष की उम्र में घर छोड़ने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी काफी तलाश की और उन तक पहुंचने के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन वे असफल रहे। जब अमेरिका में रहने वाले हबीबुर के सबसे बड़े बेटे की पत्नी ने शुक्रवार को एक मरीज के लिए आर्थिक मदद मांगने वाले शख्स की वीडियो देखी, पैसों की कमी की वजह से मरीज का इलाज नहीं हो पा रहा था।

आपको बता दें कि उसने अपने ससुर के लापता होने की कहानी सुनी थी। ऐसे में वीडियो देख उसे कुछ शक हुआ और उसने अपने पति को वह वीडियो भेजा। हबीबुर के सबसे बड़े बेटे ने अपने छोटे भाई से सिलहट जाकर उस मरीज के बारे में पता लगाने को कहा। शनिवार की सुबह जब वे अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि वह मरीज कोई और नहीं उनके ही पिता हैं।

गौरतलब है कि द डेली स्टार अखबार ने एक भाई के बयान का हवाला देते हुए कहा, “मुझे याद है कि मेरी मां और मेरे चाचा ने सालों तक उन्हें खोजने के लिए सब कुछ किया, अंत में वह हार मान बैठे। इसके बाद साल 2000 में मेरी मां का निधन हो गया।” बीते 25 सालों से हबीबुर मौलवीबाजार के रायोसरी इलाके में रह रहा था। वहां रजिया बेगम नाम की एक महिला उनकी देखभाल करती थी।

ज्ञात हो कि रजिया ने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने हबीबुर को 1995 में हजरत शाहब उद्दीन दरगाह में बदहाल हालत में पाया था। रजिया ने कहा, “उन्होंने कहा था कि वह बंजारों की तरह जीते थे। वह तब से हमारे साथ रह रहे हैं। हम उनका सम्मान करते हैं और उन्हें पीर कह कर बुलाते हैं।” घर के मुखिया को वापस पाने के बाद हबीबुर के परिवार ने उनके बेहतर इलाज के लिए उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया।

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