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हे भगवान! कृपया टैगिंग से बचाओ

आज के अपने इस आलेख में मैं जिस विषय को केंद्र बिंदु रखकर चल रही हूं,शायद वह किसी प्रकार की समस्या नहीं है और यदि सोच कर देखा जाए तो आज के सोशल मीडिया के युग में इससे बढ़कर शायद कोई दूसरी समस्या नजर भी नहीं आती है। यूं तो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के बाद इसके फायदों के साथ-साथ इसके नुकसानों से भी हम सभी भली-भांति अवगत हो ही जाते हैं। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वालों को धीरे धीरे स्वत: समझ में आने लगता है कि यहां उत्पन्न परेशानियों और दिक्कतों को किस प्रकार हैंडल किया जाए और इन समस्याओं से खुद को कैसे बचाया जाए ।किंतु कुछ समस्याऐं इस प्रकार की भी यहां नित्य प्रतिदिन उत्पन्न होती हैं जिनका कोई सिर पैर नहीं होता परंतु फिर भी हमें उन समस्याओं से जूझना पड़ता है।

आज के इस आलेख में मैंने टैगिंग की समस्या को हाईलाइट करने की कोशिश की है। टैगिंग की समस्या का हम सभी हर दूसरे दिन सामना करते हैं और शायद ही कोई जन होगा जिसे इस समस्या से दिक्कत महसूस न होती हो। किसी भी पोस्ट को अधिक से अधिक प्रचार करने का सबसे सशक्त माध्यम टैगिंग ही माना जाता है। टैगिंग करना गलत नहीं होता, किंतु जिस व्यक्ति को आपने अपनी पोस्ट में टैग किया है, यदि इसके लिए आपने उनकी अनुमति नहीं ली है और आपकी पोस्ट से उस अमुक व्यक्ति का कोई विशेष लेना देना भी नहीं है तो यह समस्या का कारण अवश्य बन जाती है।

अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर मैं यह बता सकती हूं कि आए दिन फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर इसी प्रकार के अनेक सोशल मीडिया ऐप्स या हैंडल्स पर जब लोग बात बेबात हमें अपनी पोस्ट में टैग करते हैं तो हमारे साथ साथ हमारी फ्रेंड लिस्ट में शामिल मित्रगण और दोस्तों को भी विशेष परेशानी का सामना करना पड़ता है, क्योंकि जरूरी नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति इस प्रकार की टैगिंग से प्रभावित न होता हो, कई लोग होते हैं कि उन्हें किसी भी मंच पर कोई भी व्यक्ति या समूह कितनी बार भी टैग करें, उन्हें फर्क नहीं पड़ता।

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परंतु यह उनका व्यक्तिगत मामला हो सकता है, उनकी अपनी रूचि हो सकती है। परंतु, जिस प्रकार पांचों उंगली बराबर नहीं होती उसी प्रकार सभी लोग बराबर नहीं होते। अधिकतर लोगों को मैंने यही कहते लिखते सुनते देखा पढ़ा सुना है कि फलां व्यक्ति ने मुझे बिना बात ही अपनी पोस्ट के साथ टैग कर दिया जबकि मेरा उनकी इस पोस्ट से कोई लेना-देना ही नहीं था और फिर वे सेटिंग में जाकर या तो खुद को उस पोस्ट की टैग से हटा लेते हैं और या फिर कभी-कभी तो भविष्य में उन्हें कोई टैग ही न कर पाए, इस प्रकार की सेटिंग भी वे अपने फेसबुक,इंस्टाग्राम,ट्विटर इत्यादि पर सेट कर लेते हैं।

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टैगिंग

जिन पोस्ट का संबंध समाज के एक बड़े तबके से होता है अथवा पोस्ट में आप से संबंधी कोई बात या मैसेज छिपा होता है तो आप उस अमुक विशेष व्यक्ति को टैग कर सकते हैं लेकिन अपनी हर पोस्ट को सार्वजनिक बनाते समय अधिक लोगों तक पहुंचाने की मंशा से सबको ही टैग कर देना कदापि उचित नहीं और न ही सहन करने वाली बात है क्योंकि टैगिंग करने से वह पोस्ट न केवल उन लोगों तक पहुंचती है जिन्हें आपने टैग किया है अपितु उन लोगों तक भी पहुंचती है जो टैगिंग किए गए लोगों के कांटेक्ट में शामिल होते हैं। हमें दूसरों की निजता और परेशानियों को भी ध्यान में रखना चाहिए और उन सभी बातों से बचना चाहिए जो दूसरों के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं।

सोशल मीडिया पर आजकल इतने अधिक समूह सक्रिय हो गए हैं कि अपने समूह में सदस्यों की संख्या बढ़ाने और अपनी पोस्ट को अधिक से अधिक प्रसारित करने के उद्देश्य से वे समूह में शामिल सभी सदस्यों, रचनाकारों, कवियों साहित्यकारों या लेखकों को टैग कर देते हैं जिनकी संख्या अमूमन हजारों में होती है। परंतु टैग करते समय वे इस बात को भूल जाते हैं कि जरूरी नहीं है कि समूह में शामिल हर रचनाकार या व्यक्ति विशेष टैग होना पसंद करता हो। अंतत: होता क्या है कि समूह में शामिल व्यक्तियों को समूह छोड़ने के अतिरिक्त दूसरा कोई विकल्प समझ नहीं आता और वे मजबूरन उस समूह को छोड़ देते हैं अथवा इस प्रकार की सेटिंग डाल देते हैं कि भविष्य में उन्हें कोई उनकी मर्जी के बिना किसी पोस्ट के साथ टैग ही न कर पाए।

अभी कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर ही एक पोस्ट सामने आ रही थी जिसमें एक साहित्यकार ने अपने उस आलेख को साझा किया था जिसमें उन्होंने टैगिंग की समस्या को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग रखी थी। पढ़कर अच्छा लगा, परंतु साथ-साथ दुख भी हुआ कि क्यों कुछ लोग अपने तुच्छ स्वार्थ को पूरा करने के लिए दूसरों के डिसकंफर्ट को, परेशानी को भूल जाते हैं और बेवजह उन्हें टैग करने लगते हैं। लोग यदि टैगिंग से परेशान न होते होते तो जैसे उन प्रतिभाशाली साहित्यकार ने टैगिंग को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की बात कही वह बात कभी निकलकर ही न आती। जाहिर सी बात है कि लोग टैगिंग की इस समस्या से बहुत अधिक परेशान हो रहे हैं।

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बावजूद इस सब के भी लोग टैग करने से बाज नहीं आते।यह भी संभव है कि टैग करने वाले लोगों को टैगिंग की वजह से होने वाली परेशानियों को जब स्वयं झेलना पड़ेगा तभी उन्हें टैगिंग की वजह से होने वाली दिक्कतों के बारे में अंदाजा लग पाएगा। अपने इस साधारण से आलेख के माध्यम से मैं सोशल मीडिया से जुड़े सभी लोगों से गुजारिश करूंगी कि टैगिंग की समस्या को लोगों के लिए एक प्रकार की आपदा बनने से बचाएं और टैगिंग का इस्तेमाल बहुत ही सावधानी और सतर्कता के साथ करें। जहां इसकी बहुत अधिक अर्थात नितांत आवश्यकता हो,केवल वहीं इसका इस्तेमाल करें। महज़ प्रचार, प्रसार और वाहीवाही लूटने के उद्देश्य से टैगिंग के महत्व को किसी भी सूरत में कम न होने दें।

                पिंकी सिंघल

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