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हे कन्हैया, यूपी और एमपी के बीच मारी-मारी फिर रही तुम्हारी गैया

   दया शंकर चौधरी

कान्हा की प्रिय गैया (अन्ना पशुओं के नाम पर) आज सड़कों पर मारी-मारी फिर रही है। यूपी और एमपी के बीच तो रोज इसे लेकर विवाद होने लगा है। यूपी वाले सड़कों पर घूम रहीं गैया को एमपी की सीमा में खदेड़ देते हैं तो एमपी वाले यूपी की तरफ हांक रहे हैं। दोनों ही राज्यों की पुलिस तक भी विवाद पहुंचने लगा है लेकिन हल कुछ नहीं निकल सका। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक झांसी मंडल में आज भी 29 हजार से अधिक गायें सड़कों पर हैं। यूं तो बुंदेलखंड में अन्ना पशुओं की समस्या खत्म करने के लिए गो आश्रय स्थल बनाए गए हैं। झांसी में स्थाई एवं अस्थाई मिलाकर कुल 276 गो-आश्रय स्थल हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां 37, 531 गोवंश ही संरक्षित हैं जबकि जनपद में कुल करीब 52 हजार अन्ना गोवंश चिन्हित हुए हैं। इस तरह झांसी में ही 15 हजार गोवंश सड़कों पर भटकने को मजबूर हैं। यही हाल ललितपुर एवं जालौन का है। ललितपुर में 8 हजार एवं जालौन में 6 हजार गोवंश सड़कोें पर घूम रहे हैं। इनको न खाना मिलता है, ना पानी। इनके पुर्नवास का भी कोई इंतजाम नहीं है। वहीं, गो-आश्रय स्थलों के रख रखाव में ग्राम पंचायतों को भी हिस्सेदारी करनी होती है। अपने हिस्से का खर्च बचाने की खातिर गो-आश्रय स्थलों पर क्षमता के मुताबिक गोवंश नहीं रखे जाते।

झांसी में बंगरा, मऊरानीपुर, मोंठ, गरौठा ब्लॉक की गोशालाओं में क्षमता से करीब पचास फीसदी कम गोवंश हैं। बड़ी संख्या में यह आवारा गोवंश ललितपुर राजमार्ग, बबीना राजमार्ग, कानपुर हाइवे समेत अन्य स्थानों पर दिखाई पड़ते हैं। समय पर खाना न मिलने से यह गोवंश सड़क किनारे पड़े दूषित खाद्य एवं पॉलीथिन खाकर ही गुजारा कर रहे हैं।

भूसा महंगा होने की वजह से छोड़े जा रहे गोवंश- भूसा के दाम में लगातार तेजी बनी हुई है। इस समय भी भूसा करीब 1500-1700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। एक गोवंश पर रोजाना करीब दस किलो भूसा का खर्च है जबकि अधिकतम चार लीटर दूध ही मिल पाता है। पशुओं का चारा काफी महंगा होने की वजह से पशुपालक गाय को बाहर छोड़ दे रहे हैं।

अन्ना पशुओं का बुंदेलखंड में आतंक, किसानों के सिर मंडराई आफत- अन्ना (आवारा) पशु उत्तर प्रदेश की सड़कों पर बड़ी समस्या बने हुए हैं। ये पशु लगातार किसानों और आम लोगों की परेशानी बने हुए है। खरीफ की फसलों की बोआई के साथ ही इन पशुओं का आतंक शुरू हो गया है। बुंदेलखंड में अन्ना पशु हमेशा से एक बड़ी समस्या रहे हैं। दरअसल भौगोलिक दृष्टि से बुंदेलखंड का इलाका उप्र और मप्र में बंटा हुआ है। उप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में महोबा, हमीरपुर, जालौन, बांदा और चित्रकूट कुल सात जिले आते हैं। इन जिलों में हर साल किसान अन्ना जानवरों के आतंक से दहशत में रहते हैं। इस बार भी अभी फसल लगनी शुरु ही हुई है कि अन्ना पशुओं ने खेतों पर हमला बोल दिया। ये जानवर खड़ी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।

योगी सरकार ने गांवों में गोशालाएं तो बनवा दीं लेकिन जिम्मेदार लोग अन्ना जानवरों को इन गोशालाओं तक पहुंचाने में लापरवाही बरत रहे हैं। झांसी के मऊरानीपुर तहसील के एक किसान ने बताया कि प्रदेश सरकार ने गोशाला तो बनवा दी है लेकिन स्थानीय प्रशासन के लोग अन्ना जानवरों को गोशाला में पहुंचाने का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि दिन रात उन्हें अपने खेत में रहना पड़ता है जिससे अन्ना जानवर फसल को बर्बाद ना कर दें। इतनी कोशिशों के बावजूद भी किसान अपनी फसल को अन्ना जानवरों से नहीं बचा पा रहे हैं। मौका पाते ही बड़ी संख्या में अन्ना जानवर खेतों में घुस जाते हैं।

गोशालाओं में सुविधाओं की भी कमी- एक किसान नेता का कहना है कि मऊरानीपुर तहसील से लेकर झांसी के हर गांव का किसान अन्ना पशुओं की समस्या से परेशान हैं। कुछ जगहों पर गोशाला बनवाई ही नहीं गई हैं और जहां बनवाई गईं हैं वहां भी उचित इंतजाम नहीं हैं। स्थानीय प्रशासन भी अन्ना जानवरों को गोशाला तक पहुंचाने में रुचि नहीं दिखा रहा है। इस बीच किसानों को अपनी फसलों की परवाह खुद करनी पड़ रही है। किसानों के साथ ही ये अन्ना पशु आम लोगों के लिए भी मुसीबत बन जाते हैं। अन्ना पशुओं के प्रति बरती जा रही लापरवाही के चलते प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी समस्या बनी हुई है।

यूपी में 2022 के चुनाव में अन्ना पशुओं का मुद्दा जमकर चर्चा में था- बताते चलें कि इस बार करीब पांच महीने पहले हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान आवारा पशुओं के फसल बर्बाद करने का मुद्दा जमकर चर्चा में था। योगी सरकार विपक्षियों के निशाने पर थी। तब सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी जनसभाओं में वादा किया था कि सरकार में वापस लौटने के बाद वह आवारा पशुओं के स्थायी समाधान के लिए योजना लेकर आएंगे। अब दोबारा सत्ता पर काबिज होने के महीने भर के भीतर योगी सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, योगी सरकार प्रदेश में आवारा पशुओं के लिए मेगा शेल्टर्स और अभयारण्य बनाने पर भी काम कर रही है। यहां छुट्टा जानवरों के लिए प्राकृतिक पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। इस पूरी व्यवस्था में जिला मैजिस्ट्रेट्स को भी लगाया जाएगा। योगी सरकार का प्लान है कि 100 दिन के भीतर प्रदेश में 50 हजार आवारा पशुओं को शेल्टर मुहैया कराया जाएगा। वहीं 6 महीने में यह संख्या एक लाख किए जाने का लक्ष्य है।

यूपी में बनेगा गाय अभयारण्य- इसके अलावा योगी सरकार प्रदेश में गाय अभयारण्य बनाने पर भी काम कर रही है, जहां चौपायों को प्राकृतिक परिआवास (Natutral Habitat) मुहैया कराया जा सकेगा। साथ ही 50 मेगा गौशाला बनाने और मौजूदा गौशाला की क्षमता बढ़ाने का भी काम किया जाएगा। इसके अतिरिक्त हर जिलों के मैजिस्ट्रेट्स को टारगेट दिया जाएगा कि वह हर दिन कम से कम 10 आवारा पशुओं को गौशाला में लाना सुनिश्चित करें। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि यह व्यवस्था दीर्घकालीन उपायों के तौर पर लाई जा रही है।

किसानों से गोबर खरीदेगी सरकार- योगी सरकार का अगला प्लान ऐसे बायोगैस संयंत्र स्थापित करना है, जहां गायों के गोबर का प्रयोग करके सीएनजी बनाने का काम किया जाएगा। इसमें सरकार पीपीपी यानी कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर काम करेगी। इसके लिए किसानों से गोबर खरीदा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले वादा किया था कि वह एक ऐसी व्यवस्था लाएंगे, जिसमें गोपालक किसान गायों के दूध देना बंद कर देने के बाद उसके गोबर से भी आय अर्जित कर सकेंगे। उन्होंने कहा था कि यह व्यवस्था इतनी आकर्षक होगी कि लोग आवारा पशुओं को अपनाने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी ने सुनाया बन्नी भैंस का किस्सा, जान लीजिए इसकी खासियत- पीएम नरेंद्र मोदी ने 12 सितम्बर 2022 को अंतरराष्ट्रीय डेयरी सम्मेलन में भारतीय नस्ल के पशुओं के जलवायु के अनुसार खुद को ढालने का एक किस्सा सुनाया। पीएम ने गुजरात की बन्नी भैंस की कहानी सुनाते हुए कहा कि ‘इससे आपको पता चलेगा कि भारतीय पशुओं की नस्लें कितना ज्यादा क्लाइमेट कंफर्टेबल होती हैं। पीएम ने कहा कि बन्नी भैंस रात में चारा चरने 15 किलोमीटर दूर तक चली जाती है।’ पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात के कच्छ में रहने वाली बन्नी भैंस वहां की रेगिस्तान की परिस्थितियों से ऐसी घुलमिल गई है कि देखकर कई बार हैरानी होती है। वहां दिन में भयंकर धूप होती है। इसलिए बन्नी भैंस रात के कम तापमान में घास चरने के लिए निकलती है। पीएम ने कहा कि विदेश से आए हमारे साथी ये जानकर चौंक जाएंगे कि उस समय बन्नी भैंस के साथ उसके किसान या पालक साथ नहीं होते हैं। बन्नी भैंस खुद चारागाह में जाती है। रेगिस्तान में पानी कम होता है। इसलिए बहुत कम पानी में भी बन्नी भैंस का काम चल जाता है।

रात में 15 किलोमीटर दूर जाकर चरती है घास- पीएम मोदी ने बताया कि बन्नी भैंस रात में 15-15 से लेकर 17-17 किलोमीटर तक दूर घास चरने जाती है। उन्होंने कहा कि इतनी दूर जाकर घास चरने के बाद भी बन्नी भैंस सुबह अपने आप खुद घर चाली आती है। पीएम ने कहा कि ऐसा बहुत कम सुनने में आता है कि किसी की बन्नी भैंस खो गई हो या गलत घर में चली गई हो। पीएम ने कहा कि मैंने आपको सिर्फ बन्नी का ही उदाहरण दिया है लेकिन भारत में मुर्रा, मेषाणा, जाफराबादी, नीली रवि, पंडरपुरी जैसे अनेक नस्लें भैंस की भी अपने-अपने तरीके से विकसित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि गीर गाय, सैवाल, राठी, कांकरे, थारपारकर हरियाणा ऐसी ही कितनी गाय की नस्लें हैं जो भारत की डेयरी सेक्टर को यूनिक बनाती हैं। भारतीय नस्ल के ज्यादातर पशु क्लाइमेट कंफर्टेबल भी होते हैं। बन्नी ग्रास लैंड जानवरों के चारे के लिए दुनियाभर में मशहूर है। बन्नी भैंस की नस्ल ऐसी होती है, जिसे तमाम दुग्ध उत्पादक खरीदना चाहते हैं। बन्नी भैंस की कीमत एक लाख रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक हो सकती है। इस भैंस की खासियत ये भी है कि ये अधिक सर्दी और अधिक गर्मी दोनों ही बर्दाश्त करने की क्षमता से लैस होती है।

योगी बनाएँगे यूपी में सबसे बड़ी “काऊ सफारी”, गायों को मिलेगा सहारा- उत्तर प्रदेश के किसानों को आवारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के लिए योगी सरकार इटावा की लॉयन सफारी के तर्ज पर जालौन में काऊ सफारी बनाएगी। यूपी के सबसे बड़े काऊ सफारी के लिए उरई में 150 एकड़ से ज्यादा जमीन चिन्हित की गयी है। जिला प्रशासन वन विभाग की भूमि पर जल्द ही काम शुरू करेगा। प्रशासन का कहना है कि इस माह के अंत तक काऊ सफारी पर काम शुरू कर दिया जाएगा। ‘काऊ सफारी’ बनने से आवारा पशुओं पर रोकथाम लगेगी और बेसहारा पशुओं को एक स्थाई जगह मिल सकेगी। यह प्रोजेक्ट सफल रहती है तो यूपी के अन्य जिलों में भी काऊ सफारी बनाने की योजना पर काम शुरू होगा।

जालौन 150 हेक्टेयर जमीन चिन्हित- खबरों की यदि मानें तो जालौन में लगभग 150 हेक्टेयर में ‘काऊ सफारी’ बनायी जाएगी। इसके लिए उरई में नवीन गल्ला मंडी के समीप रगौली गांव में बंजर पड़ी वन विभाग की भूमि चिन्हित की गयी है। इसका क्षेत्रफल करीब 150 हेक्टेयर होगा। जिलाधिकारी का कहना कि जिले में सात कान्हा गौशाला एवं 360 अस्थाई गौशालाएं हैं। अब वन विभाग की भूमि पर ‘काऊ सफारी’ की कार्ययोजना तैयार की गई हैं। वन विभाग और मंडी समिति के द्वारा भूमि की पैमाईश कर ली गई है। इस काऊ सफारी में लगभग 2 से 3 हजार पशुओं को रखा जा सकेगा।

भाजपा के मेनिफेस्टो में शामिल था गोवंश- गोवंश की रक्षा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार गंभीर है। विधानसभा चुनाव के मेनिफेस्टो में भी अन्ना पशु को शामिल किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूपी में गोवंश और अवारा पशुओं की समस्या को अपने चुनावी भाषणों में जिक्र किया था। बताते चलें कि देश में ‘गो संरक्षण’ का मॉडल रखने का काम सबसे पहले मध्य प्रदेश में किया गया। शिवराज सरकार ने 2017 में पहली काऊ सेंचुरी बनाई थी। यह काऊ सफारी आगर मालवा जिले की सुसनेर तहसील के सालरिया गांव में बनाई गई है। 472 हेक्टेयर में बनी इस काऊ सेंचुरी में 24 शेड हैं।

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