मणिपुर में जारी हिंसा के बीच पड़ोसी राज्य मिजोरम में मैतेई समुदाय को धमकी मिली है। मिजोरम के पूर्व विद्रोहियों ने मैतेई समुदाय के लोगों से राज्य छोड़ने को कहा है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसकी धमकी है।
पीएएमआरए ने कहा कि मणिपुर में जो-जातीय समुदाय (कुकी-जो) के साथ हुई हिंसा से मिजो भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है। साथ ही इस संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर मिजोरम में मैतेई लोगों पर कोई हिंसा होता है तो इसके लिए वे खुद जिम्मेदारी लेंगे। बयान में कहा गया है, “मिजोरम में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है और मणिपुर में उपद्रवियों द्वारा किए गए बर्बर और जघन्य कृत्यों के मद्देनजर मणिपुर के मैतेई लोगों के लिए मिजोरम में रहना अब सुरक्षित नहीं है… पीएएमआरए मिजोरम के सभी मैतेई लोगों से अपील करता है कि वे सुरक्षा उपाय के तौर पर अपने गृह राज्य चले जाएं।”
मिजोरम सरकार के सूत्रों ने कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए पहले ही कदम उठाए जा चुके हैं कि किसी भी मैतेई व्यक्ति को नुकसान न पहुंचे। रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने अपने मणिपुर समकक्ष एन बीरेन सिंह को मिजोरम में मैतेई लोगों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है। सूत्रों ने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद मणिपुर सरकार ने मिजोरम और केंद्र के साथ फिर से चर्चा की।
जिसके बाद मिजोरम सरकार ने राजधानी आइजोल में मैतेई लोगों के लिए सुरक्षा बढ़ा दी है। शुक्रवार को आइजोल से जारी एक बयान में, पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज एसोसिएशन (पीएएमआरए) ने कहा कि अगर मैतेई लोगों को अपनी “सुरक्षा” प्यारी है तो वे मिजोरम छोड़ दें। क्योंकि पड़ोसी (राज्य में) जातीय संघर्ष के दौरान दो महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना के बाद से “मिजो युवाओं में गुस्सा” है। बता दें कि PAMRA मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के पूर्व उग्रवादियों का एक गैर-राजनीतिक संगठन है जो मिजो शांति समझौते की सभी धाराओं को लागू करने की मांग कर रहा है।