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क्या घातक है कोविड का JN.1 वेरिएंट? एनसीडीसी के पूर्व डायरेक्टर से जानें

भारत में कोरोना वायरस का खतरा फिर से मंडरा रहा है. दुनिया के कई देशों के साथ-साथ अब भारत में भी कोरोना के केस हर दिन बढ़ रहा है. बीते दिनों कोविड का नया सब वेरिएंट सामने आया है. केरल में JN.1 वेरिएंट का केस आया था. TV9 ने एनसीडीसी के पूर्व डायरेक्टर डॉ. सुजीत सिंह से इस वेरिएंट के बारे में बातचीत की है. डॉ सुजीत कहते हैं कि जेएन. 1 वेरिएंट ओमिक्रॉन वेरिएंट का ही सब वेरिएंट है.पहले चीन, यूके और यूएसए में भी पाया गया है. जुलाई से ही ये वेरिएंट डिटेक्ट हो चुका है.इसमें म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन रीजन में है जो L 445S है.इस म्यूटेशन से ट्रांसमिशन बढ़ने का अंदेशा होता है.

ट्रांसमिशन को देखने के लिए कम्युनिटी सेटिंग में देखने की जरूरत है. इसके बाद ही पता चल सकेगा कि ये वेरिएंट कितनी तेजी से फैल रहा है. इस वेरिएंट की पहचान के लिएराज्यों को हिदायत है कि वह सर्विलांस बढ़ा दें. इस बीच यह भी देखना होगा कि कोविड के केस हॉस्पिटल में बढ़ तो नहीं रहे हैं? अगर ये बढ़ रहे हैं तो ये देखने की जरूरत है कि क्या ये JN.1 के चलते है और कोई दूसरा कारण है.

सिंगापुर में बढ़ रहे केस

डॉ सुजीत ने कहा किकुछ देशों के डेटा इस तरफ इशारा ज़रूर कर रहे हैं कि JN.1 से मामले बढ़े हैं. मसलन सिंगापुर में कोविड के केस तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका कारण नया वेरिएंट जेएन. 1 है. भारत के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा. हर देश की आबादी का स्टेटस अलग है, उदाहरण के तौर पर टीका लगने का स्टेटस हो या फिर वैक्सीन किस तरह की है. इससे कोविड के फैलने का आंकलन किया जाता है. ये भी देखना होगा कि अब लोगों में कोविड के खिलाफइम्यूनिटी कितनी रह गई है.

क्या घातक है जेएन. 1 वेरिएंट

डॉ सुजीत ने कहा कि अभी वह नए वेरिएंट को घातक नहीं मानते हैं. कोरोना से मौत की जानकारी है. अगर इन मामलों के सैंपल में JN.1 मिलता है तो कहा जा सकता है ये मौतों के लिए जिम्मेदार है पर जीनोमिक सेक्येंसिंग के ज़रिए इसको देखना होगा कि मृतकों में कोविड का कौन सा वेरिएंट था. ऐसे में सीक्वेंसिंग बढ़ाने की जरूरत है.

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