हार्ट के अतिरिक्त भी बुजुर्गों में भिन्न-भिन्न कारणों से सर्जरी की नौबत आ सकती है. ऐसे बुजुर्गों के स्वास्थ्य की विशेष निगरानी की सलाह दी जाती है, क्योंकि इन्हें लकवा व सोचने-समझने की क्षमता को नुकसान होने का खतरा रहता है. मशहूर अमेरिकी जर्नल लांसेट के अध्ययन से यह बात पता चली है. हिंदुस्तान में लकवा (स्ट्रोक) मृत्यु व अपंगता का एक बड़ा कारण है. हिंदुस्तान सहित अन्य विकासशील राष्ट्रों में पिछले कुछ दशकों में लकवे के मुद्दे बढ़ गए हैं. भारतीय स्ट्रोक्स एसोसिएशन के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 1.7 करोड़ लोग इससे प्रभावित होते हैं, जिनमें से लगभग 62 लाख की मृत्यु हो जाती है.
द लांसेट के मध्य-अगस्त के अंक में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक नॉन कार्डियेक सर्जरी कराने के बाद बुजुर्गों में बिना पूर्व लक्षण के लकवे (साइलेंट स्ट्रोक) का खतरा ज्यादा होता है. लकवा एक ऐसी इमरजेंसी चिकित्सकीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त जमा हो जाने के कारण दिमाग को होने वाला रक्त प्रवाह ठप्प हो जाता है.
24 मार्च 2014 से 21 जुलाई 2017 के दौरान लांसेट ने अध्ययन के लिए तैयार 1,114 मरीजों की प्रगति पर नजर रखी. नौ राष्ट्रों के 12 शैक्षणिक संस्थानों में किए गए इस अध्ययन को 65 साल या उससे अधिक आयु के ऐसे मरीजों पर ही केंद्रित रखा गया, जो नॉन कार्डियेक सर्जरी से गुजर चुके थे. अनुसंधानकर्ताओं ने सर्जरी के बाद किए गए दिमाग के एमआरआई की तुलना एक वर्ष बाद के परीक्षणों से की. उन्होंने पाया- तकरीबन सात प्रतिशत मरीजों को तो सर्जरी के दौरान (पेरिऑपरेटिव) ही सीक्रेट (कवर्ट) स्ट्रोक आ चुका था. पेरिऑपरेटिव कवर्ट स्ट्रोक का सामना कर चुके 69 मरीजों में से 29 में सर्जरी के एक वर्ष बाद की गई जाँच के दौरान सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट (कॉग्नेटिव डिक्लाइन) देखने को मिली. पेरिऑपरेटिव कवर्ट स्ट्रोक का सामना नहीं करने वाले मरीजों में भी अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि 932 मरीजों में से 274 (29%) की सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट आई है. यह जानकारी को एक आर्टिक्ल “पेरिऑपरेटिव कवर्ट स्ट्रोक इन पेशेंट्स अंडरगोइंग नॉन कार्डियेक सर्जरी (न्यूरो विजन): ए प्रॉस्पेक्टिव कोहर्ट स्टडी” में प्रकाशित की गई है. इस सामूहिक अध्ययन में लिंग, नस्ल, वर्ग व भौगोलिक स्थिति के लिहाज से कई प्रकार के मरीजों का अध्ययन किया गया.
कवर्ट स्ट्रोक क्या है?
साइलेंट या कवर्ट स्ट्रोक बिना किसी पूर्व सूचना या लक्षणों के आता है. इसके बड़े कारणों में रक्त के थक्के जमना, धमनियों का सिकुड़ जाना, हाई ब्लडप्रेशर, मधुमेह व हाई कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं. 65 साल से अधिक आयु के लोगों में इसका खतरा बढ़ जाता है क्योंकि रक्त नलिकाएं कठोर व पतली हो जाती हैं. स्ट्रोक दिमाग को स्थायी क्षति पहुंचा सकता है, विकलांगता या मृत्यु तक की वजह बन सकता है. इसलिए स्ट्रोक के लक्षण दिखते ही तुरंत इलाज का बंदोवस्त किया जाना चाहिए. स्ट्रोक के कारण बेहोशी भी आ सकती है.
अगर आप 65 साल से अधिक आयु के किसी आदमी के साथ रहते हैं , तो स्ट्रोक आने पर उसकी जिंदगी बचाने के लिए आप ये आसान कदम उठा सकते हैं-
1. मरीज को अकेला न छोड़ें. अगर महत्वपूर्ण हो, तो किसी व को एम्बुलेंस बुलाने के लिए कहें. मरीज को तत्काल अस्पताल ले जाएं.
2. ध्यान रखें कि मरीज आरामदेह स्थिति में है.
3. उल्टियां होने की स्थिति में मरीज को उठाकर सिर का संतुलन साधकर मदद करें.
4. इस बात का ध्यान रखें कि वह सांस ले रहे हैं. उनके शर्ट के बटन या दुपट्टे को ढीला कर दें.
5. आवश्यकता हो तो कार्डियोपल्मनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दें.
6. मरीज को कुछ भी खाने या पीने को न दें.
7. आवश्यकता हो तो मरीज को कंबल से ढंक दें.
8. स्ट्रोक के बाद डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से ध्यान रखना जरूरी है.