नीति आयोग ने बेहतर स्कूली शिक्षा के आंकड़े पेश किए हैं, जिसमें केरल ने एक बार फिर पहला पायदान हासिल किया है। दूसरी तरफ राजस्थान ने शिक्षा के स्तर को सुधारते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया है, जबकि देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में में स्कूली शिक्षा के स्तर में काफी सुधार हुआ है, बावजूद इसके वो बड़े राज्यों की श्रेणी में सबसे आखिरी पायदान पर है. आपको बता दें कि नीति आयोग ने सोमवार को ये आंकड़े जारी किए हैं।
केरल का चला सिक्का
शिक्षा के मामले में अव्वल रहने वाले केरल ने एक बार फिर स्कूली शिक्षा की क्वालिटी में देश के बाकी राज्यों को पछाड़ दिया है. नीति आयोग के आंकडों के मुताबिक बड़े राज्यों में केरल नंबर एक पर और राजस्थान दूसरे नंबर पर है. जबकि कर्नाटक को तीसरा स्थान तो उत्तर प्रदेश को बीस बड़े राज्यों में आखिरी नंबर मिला है. आधे गिलास को देखने के दो नजरिए हैं, किसी को वो आधा भरा हुआ और किसी को आधा खाली दिख सकता है. ऐसा ही देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मामले में हुआ है. आंकडों में तो सबसे ज्यादा सुधार करने वाले राज्यों में उसका स्थान तीसरा है, लेकिन बाकी राज्यों से वो इतना पिछड़ा हुआ था कि अब भी आखिरी पायदान पर ही है।
पश्चिम बंगाल ने नहीं लिया था हिस्सा
नीति आयोग में मानव संसाधन मंत्रालय के सलाहकार आलोक कुमार ने बताया कि छोटे राज्यों में मणिपुर पहले, त्रिपुरा दूसरे और गोवा तीसरे नंबर है, जबकि केंद्र शासित राज्यों में सबसे ऊपर चंडीगढ़ बना हुआ है। वहीं दूसरा स्थान दादरा व नगर हवेली को मिला है और दिल्ली तीसरे नंबर पर है, उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल ने इस सर्वे में हिस्सा ही नहीं लिया. नीति आयोग के मुताबिक राज्यों की रजामंदी के बिना उन्हें इस सर्वे में शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि कई डाटा के लिए राज्य सरकारों की मदद ली जाती है। पश्चिम बंगाल से भी इस सर्वे में शामिल होने का अनुरोध किया गया था, लेकिन उन्होंने इसमें शरीक होने से इनकार कर दिया।नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि इस समय स्कूली शिक्षा में क्वालिटी को लेकर ज्यादा फोकस रखा जा रहा है। ये देखने में आया है कि बच्चे अब स्कूल तो जाने लगे हैं, लेकिन अब लर्निंग आउटकम पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। राज्यों की मदद से शिक्षा के स्तर में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं।