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ईशा फाउंडेशन से जुड़े केस में हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से ‘सुप्रीम’ इनकार, कोर्ट ने दिए अहम निर्देश

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ तमिलनाडु प्रदूषण बोर्ड के नोटिस को रद्द करने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु के वेल्लियांगिरी में ईशा फाउंडेशन के योग और ध्यान केंद्र के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके अलावा ईशा फाउंडेशन का योग और ध्यान केंद्र पर्यावरण मानदंडों का पालन करेगा और विस्तार के लिए पूर्व अनुमति लेगा।

आज सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन के खिलाफ तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) के नोटिस को रद्द कर दिया गया था। यह नोटिस वेल्लियांगिरी पर्वतीय क्षेत्र की तलहटी में बिना पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के भवनों के निर्माण के लिए दिया गया था।

पीठ ने क्या कहा?
जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि कोयंबटूर के वेल्लियांगिरी पर्वतीय क्षेत्र में निर्मित ईशा फाउंडेशन के योग और ध्यान केंद्र के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। पीठ ने कहा कि योग और ध्यान केंद्र सभी पर्यावरणीय मानदंडों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों का पालन करेगा।

‘आदेश अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए मिसाल नहीं बनाएगा’
पीठ ने कहा कि योग और ध्यान केंद्र के विस्तार के मामले में सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति ली जाएगी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए मिसाल नहीं बनाएगा। यह मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर पारित किया गया है।

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