हिन्दू कैलेंडर के नए मास कार्तिक का प्रारंभ 14 अक्टूबर दिन सोमवार से हो रहा है. पुराणादि शास्त्रों में कार्तिक मास का विशेष महत्व बताया गया है. भगवान विष्णु एवं विष्णु तीर्थ के सदृश ही कार्तिक मास को श्रेष्ठ व दुर्लभ बोला गया है. कार्तिक मास कल्याणकारी मास माना जाता है. कार्तिक मास का माहात्म्य पद्मपुराण तथा स्कन्दपुराण में बहुत विस्तार से उपलब्ध है.
कार्तिक मास में महिलाएं ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर राधा-दामोदर की पूजा करती हैं.कलियुग में कार्तिक मास-व्रत को मोक्ष के साधन के रूप में दर्शाया गया है. पुराणों के मतानुसार, इस मास को चारों पुरुषार्थों- धर्म, अर्थ, कार्य व मोक्ष को देने वाला माना गया है. खुद नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को व नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुणसम्पन्न माहात्म्य के सन्दर्भ में बताया है.
कार्तिक मास का महत्व
2. कार्तिक मास में दीपदान करने का विधान है. हम इस माह में आकाशदीप भी जलाते हैं.
3. कार्तिक मास में तुलसी आराधना का विशेष महत्व है. एक ओर आयुर्वेद में तुलसी को रोगहर बोला गया है, वहीं दूसरी ओर यह यमदूतों के डर से मुक्ति प्रदान करती है.
5. तुलसी दल या मञ्जरी से भगवान का पूजन करने से अनन्त फायदा मिलता है, कार्तिक व्रत में तुलसी-आरोपण का विशेष महत्व है. भगवती तुलसी विष्णुप्रिया कहलाती हैं.
6. कार्तिक मास में हरि संकीर्तन मुख्य रूप से किया जाता है.
7. कार्तिक मास में नित्य स्नान करें व हविष्य ( जौ, गेहूँ, मूँग, तथा दूध-दही व घी आदि) का एकबार भोजन करें, तो सब पाप दूर हो जाते हैं.