भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत मुद्रास्फीति की एक और लहर का जोखिम नहीं उठा सकता है। वर्तमान में सबसे अच्छा तरीका लचीला रहना होगा। केंद्रीय बैंक के लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति के स्थायी रूप से सही होने की स्थिति का इंतजार करना होगा।
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महीने की शुरआत में हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्योरा देते हुए, दास ने कहा कि मौद्रिक नीति केवल मूल्य स्थिरता बनाए रखने से ही स्थायी विकास का समर्थन कर सकती है।
लगातार दसवीं बार एमपीसी ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बेंचमार्क ब्याज दर को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने का फैसला किया है, जो लगातार दसवीं बार है जब एमपीसी ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि, समिति ने अपनी स्थिति ‘समायोजन की वापसी’ से तटस्थ में बदल दी है।
मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन अच्छी तरह स्थापित: दास
एमपीसी की बैठक के ब्योरे के अनुसार, दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिरता और ताकत की तस्वीर प्रस्तुत करती है, और मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन अच्छी तरह से स्थापित है।
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उन्होंने कहा, मुद्रास्फीति में निकट अवधि में बढ़ोतरी के बावजूद, साल के अंत में और अगले साल की शुरुआत में हेडलाइन मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण 4 प्रतिशत लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने की ओर इशारा करता है।
मुद्रास्फीति स्थायी रूप से लक्ष्य के करीब होने तक प्रतीक्षा और मूल्यांकन जरूरी: देबब्रत
इसी तरह का विचार आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा था कि नीति दर के संदर्भ में नीतिगत संयम को हटाने के लिए क्रमिक प्रतीक्षा और मूल्यांकन दृष्टिकोण तब तक उचित रहेगा जब तक मुद्रास्फीति स्थायी रूप से अपने लक्ष्य के करीब न हो। इसलिए, उन्होंने बैठक में नीतिगत दर पर यथास्थिति बनाए रखने, लेकिन रुख को तटस्थ में बदलने के लिए मतदान किया।