भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ाया है. रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 5.9 फीसदी से बढ़ाकर 6.2 फीसदी कर दिया है.
वहीं, एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी (ADB) ने भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान में कटौती की है. एडीबी ने वित्त वर्ष 2022-23 (FY 23) के लिए इसे घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया है.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को कहा कि सरकार के बढ़े हुए कैपिटल एक्सपेंडिचर, घरेलू कंपनियों और बैंकों के बैलेंस शीट में कर्ज की कमी, ग्लोबल कमोडिटी कीमतों में नरमी और निजी निवेश में तेजी की उम्मीद जैसे कई फैक्टर्स की वजह से उसने ग्रोथ रेट के अनुमान को बढ़ाया है.
हालांकि, इंडिया रेटिंग्स ने अगले साल होने वाले आम चुनावों के पहले जीडीपी ग्रोथ की राह में कुछ चुनौतियों को लेकर आगाह भी किया है. इनमें ग्लोबल ग्रोथ रेट में गिरावट से भारत के निर्यात में सुस्ती, वित्तीय परिस्थितियों की वजह से पूंजी की लागत बढ़ना और मानसूनी बारिश में कमी के साथ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की नरमी शामिल हैं.
जून तिमाही में 7.8 फीसदी रही ग्रोथ रेट
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ”ये सभी रिस्क वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि को प्रभावित और बाधित करना जारी रखेंगे. जून तिमाही में 7.8 फीसदी पर रही ग्रोथ रेट के अगली तीनों तिमाहियों में सुस्त पड़ने के ही आसार दिख रहे हैं.”
FY 2024 में 6.5% तक रह सकती है भारत की जीडीपी ग्रोथ: RBI
भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रहेगी. इसके पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी रही थी.
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, कंजम्पशन डिमांड व्यापक आधार वाली नहीं है और प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडिचर (PFCE) 6.9 फीसदी बढ़ने का अनुमान है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 7.5 फीसदी था.
सर्विस सेक्टर में सुधार
निम्न आय वर्ग से संबंधित परिवारों की वास्तविक वेतन वृद्धि वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही से ही नकारात्मक रही है और सिर्फ अक्टूबर-दिसंबर, 2022 की तिमाही में ही यह मामूली रूप से बढ़ी है. रिपोर्ट कहती है कि उच्च आय वर्ग से संबंधित परिवारों की वास्तविक वेतनवृद्धि 9.5 फीसदी से 12.7 फीसदी के बीच रह सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश का निर्यात प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रहा है जबकि सर्विस सेक्टर में सुधार हो रहा है. लेकिन मानसूनी वर्षा और इंडस्ट्रियल ग्रोछ ‘चिंता का क्षेत्र’ बने हुए हैं.