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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस: लड़कियां नहीं है लड़कों से कम…

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl’s Day) प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर वर्ष 2011 को प्रस्ताव पारित करके 11 अक्तूबर को अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इस दिवस का उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों का संरक्षण और उनके समक्ष आने वाली चुनोतियों की पहचान करना है।


अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस निम्नलिखित उद्देश्य से मनाया जाता है-

  • बालिकाओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को उजागर करना तथा उनकी आश्यकताओं को पहचानना।
  • बालिकाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
  • उनके मानवाधिकारों की पूर्ति में मदद करना।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस वर्ष 2018 का विषय “उनके साथ: एक कौशलपूर्ण बालिका शक्ति” है। वर्तमान पीढ़ी की लड़कियां कार्य क्षेत्र की दुनिया में प्रवेश करने की तैयारी कर रही हैं, जो कि नवाचार और स्वचालन से बदल रही है। शिक्षित और कौशलपूर्ण कर्मचारियों की मांग अधिक है, लेकिन लगभग एक चौथाई युवा लोग, उनमें से अधिकतर महिलाएं वर्तमान में न तो नियोजित हैं और न ही शिक्षा या प्रशिक्षण में हैं।”

अगले दशक में छह सौ मिलियन किशोरियों सहित एक अरब युवा कार्यबल में प्रवेश करेंगे, लेकिन विकासशील देशों में रहने वाले नब्बे प्रतिशत से अधिक लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करेंगे, जिसमें कम वेतन या वेतन न मिलना, दुर्व्यवहार और शोषण सामान्य हैं। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का विषय “उनके साथ: एक कौशलपूर्ण बालिका शक्ति” के अंतर्गत वर्तमान में सीखने के अवसरों का विस्तारण, नए मार्गों की रूपरेखा और वैश्विक समुदाय को इस बात पर पुनर्विचार करने के लिए कहना, कि कार्य क्षेत्र के संसार में सफल बदलाव के लिए उन्हें कैसे तैयार किया जाए, इसके बारे में सोचने का समय है। किशोरियों को न केवल महत्वपूर्ण निर्माणात्मक वर्षों के दौरान, बल्कि महिलाओं के परिपक्व होने के दौरान भी सुरक्षित, शिक्षित और स्वस्थ जीवन का अधिकार है। यदि किशोरावस्था के दौरान उन्हें सहयोग किया जाता है, तो उनमें वर्तमान की सशक्त बालिका और भविष्य की कार्यकर्ता, माता, उद्यमी, परामर्शदाता, पारिवारिक मुखिया और राजनीतिक नेताओं के रूप में दोनों स्तरों पर विश्व को बदलने का सामर्थ्य विकसित होता है।


यह दिवस किशोरियों के सहयोग में प्राप्त करने वाली उपलब्धियों को पहचानने तथा किशोरियों की वर्तमान और आगामी पीढ़ी के सहयोग के लिए प्रेरणा देने का समय है, ताकि वे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति में अपनी क्षमताओं के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। भारत सरकार ने ज्ञान, मूल्यों और कौशल से किशोरियों को सशक्त करने के लिए विभिन्न शुरूआते की है, जिससे वर्तमान और भविष्य में परिवारों और समुदायों को सकारात्मक लाभ मिलें।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं: भारत सरकार ने राष्ट्रीय अभियान के माध्यम से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं की शुरूआत की है। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है।

इस पहल के उद्देश्य इस प्रकार से हैं-

  • लैंगिक आधार पर लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध।
  • बालिका उत्तरजीविता और संरक्षण सुनिश्चित करना।
  • बालिका शिक्षा और भागीदारी सुनिश्चित करना।

किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की सहायता से लागू किया गया है। यह किशोर प्रजनन और यौन
स्वास्थ्य कार्यक्रम (एआरएसएच) के माध्यम से किशोरों को सेवाएं तथा मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता प्रोत्साहित करने के लिए साप्ताहिक आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरक कार्यक्रम एवं योजना प्रदान करता है। देश के बढ़ते कार्यबल को नियोक्ता कौशल प्रदान करने के उद्देश्य से कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने कौशल विकास और उद्यमिता वर्ष 2015 के लिए राष्ट्रीय नीति (वर्ष 2009 की नीति का अधिग्रहण) तैयार की है।

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