आयरलैंड। आयरलैंड Ireland की संसद ने देश में गर्भपात पर 35 सालों से लगे प्रतिबंध को खत्म करने वाला विधेयक पास कर दिया है। वर्ष 1983 में संविधान में आठवें संशोधन के जरिये अजन्मे बच्चे को जीने का बराबर अधिकार देते हुए देश में गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
Ireland में इस प्रतिबंध के कारण
आयरलैंड Ireland में इस प्रतिबंध के कारण ही 2012 में डॉक्टरों ने भारतीय मूल की दंत चिकित्सक सविता हलप्पनवार का गर्भपात की इजाजत नहीं दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी।इस घटना के बाद देशभर में गर्भपात को वैध करने की मुहिम तेज हो गई थी।
विधेयक पारित होने पर खुशी जताते हुए भारतवंशी प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने कहा, ’यह आयरलैंड की महिलाओं के लिए ऐतिहासिक क्षण है। जिन लोगों ने इसका समर्थन किया उन सभी का धन्यवाद।’गर्भपात को वैध करने के लिए बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने गत मई में जनमत संग्रह कराया था। इसमें 66.4 फीसद लोगों ने गर्भपात पर रोक के कानून को खत्म करने के पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद संसद के दोनों सदनों में नया कानून बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसे अब पारित कर दिया गया है।
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अगले साल से यह कानून देशभर में लागू हो जाएगा। द रेगुलेशन ऑफ टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी बिल के तहत अजन्मे बच्चे में जानलेवा विकार या गर्भवती को उससे शारीरिक या मानसिक खतरे की स्थिति में गर्भावस्था के 12वें सप्ताह तक गर्भपात कराना वैध होगा।तीन साल बाद इस कानून की समीक्षा भी की जाएगी। कानून पारित होने पर खुशी जताते हुए भारतवंशी प्रधानमंत्री लियो वरदकर ने कहा, ’यह आयरलैंड की महिलाओं के लिए ऐतिहासिक क्षण है। जिन लोगों ने इसका समर्थन किया उन सभी का धन्यवाद।’