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आईपीएस अनिरुद्ध सिंह जांच में पाए गए दोषी, वीडियो कॉल के जरिए मांगी 20 लाख रुपये की रिश्वत

वाराणसी में तैनाती के दौरान स्कूल संचालक से वीडियो कॉल के जरिए 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोपी आईपीएस अनिरुद्ध सिंह आरंभिक जांच में दोषी पाए गए हैं।

उनके खिलाफ गृह विभाग ने विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं। विभागीय जांच के लिए जांच अधिकारी की भी नियुक्ति कर दी गई है। बता दें कि इसके पहले एडीजी स्तर के दो अधिकारियों ने अनिरुद्ध सिंह की जांच की थी लेकिन उन्हें क्लीनचिट दे दी थी।

वाराणसी में तैनाती के दौरान अनिरुद्ध सिंह ने वहां के स्कूल संचालक से 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। मार्च में अनिरुद्ध सिंह का रिश्वत मांगते हुए वीडियो वायरल कर दिया गया था। प्रमुख सचिव गृह के निर्देश पर डीजीपी मुख्यालय ने मामले की जांच वाराणसी के कमिश्नर के सुपुर्द की थी।

वाराणसी में स्कूल संचालक से 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में वाराणसी के कमिश्नर ने जांच वहां के डीआईजी क्राइम संतोष कुमार सिंह को सुपुर्द की थी। इस मामले में आईपीएस अनिरुद्ध सिंह दोषी पाए गए हैं। उनके खिलाफ डीजीपी मुख्यालय ने वृहद दंड की संस्तुति करते हुए जांच रिपोर्ट गृह विभाग को भेज दी थी।

प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने कहा कि अनिरुद्ध सिंह आरंभिक जांच में दोषी पाए गए हैं। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है। शासन उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं।

बताया जा रहा है कि रिश्वत मांगने का यह मामला तब का है जब अनिरुद्ध सिंह वाराणसी के चैतगंज में एएसपी के पद पर तैनात थे। उस समय सनबीम स्कूल एक बच्ची से रेप का मामला सामने आया था। अनिरुद्ध सिंह ने तब सफाई दी थी कि इस मामले में आरोपी पक्ष द्वारा लगातार प्रभावित करने की कोशिश की जा रही थी। उसे ट्रैप करने के लिए ही ये पूरी बातचीत की गई थी। अनिरुद्ध का कहना है कि तब ये सारी बातें उच्चाधिकारियों की जानकारी में थीं। वीडियो कॉल पर बातचीत के दौरान अनिरुद्ध सिंह ने 20 लाख रुपए की घूस मांगी थी।

अनिरुद्ध ने आरंभिक जांच के दौरान खुद को बचाने का प्रयास किया था। उनके खिलाफ दो एडीजी स्तर के अधिकारियों ने जांच की थी लेकिन उन्हें क्लीनचिट दे दी गई थी। इसके बाद वीडिया वायरल होने पर शासन ने जांच के आदेश दिए और उन्हें दोषी पाया गया। अनिरुद्ध फिलहाल सीबीसीआईडी में तैनात हैं। विवाद होने के बाद शासन ने उनकी पत्नी को वाराणसी से हटाकर कानपुर में तैनात कर दिया था।

 

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