इस्राइल ने तीन दशक से ज्यादा समय बाद वेस्ट बैंक की जमीन पर सबसे बड़े कब्जे को मंजूरी दी है। कब्जे वाले क्षेत्र में अवैध बस्तियों की निगरानी करने वाले एक समूह ने बुधवार को यह जानकारी दी।
इस्राइली समूह ‘पीस नाउ’ ने बुधवार को कहा, “अधिकारियों ने हाल ही में जॉर्डन घाटी में 12.7 वर्ग किलोमीटर (करीब पांच वर्ग मील) जमीन पर कब्जे को मंजूरी दी।” इस समूह के आंकड़ों से पता चलता है कि यह 1993 के ओस्लो समझौते के बाद जमीन पर सबसे बड़े कब्जे को मंजूरी दी गई है।
गाजा पट्टी में इस्राइली बलों और हमास के बीच बीते आठ महीनों से जंग जारी है। वेस्ट बैंक में फलस्तीन की जमीन पर सबसे बड़े कब्जे को मंजूरी मिलने के बाद इलाके में तनाव बढ़ सकता है। स्थिति और भी बदतर हो सकती है। गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से वेस्ट बैंक में भी हिंसा बढ़ी है। इस्राइल गाजा पट्टी में अपनी सैन्य कार्रवाई अब भी जारी रखे हुए है।
जमीन पर कब्जे को पिछले महीने के अंत में मंजूरी दी गई। लेकिन इसके बारे में जानकारी बुधवार को प्रचारित की गई। इससे पहले इस्राइल ने मार्च के महीने में वेस्ट बैंक में 8 वर्ग किलोमीटर (करीब तीन वर्ग मील) और फरवरी में 2.6 वर्ग किलोमीटर (1 वर्ग मील) जमीन के कब्जे को मंजूरी दी थी।
पीस नाउ ने बताया कि साल 2024 में वेस्ट बैंक की जमीन पर सबसे बड़े कब्जे को मंजूरी गई है। वेस्ट बैंक का रामाल्लाह शहर फलस्तीनी प्राधिकरण का मुख्यालय है। इस्राइली सरकार ने इस भूमि को राज्य की जमीन घोषित किया है और इसे इस्राइली नागरिकों को पट्टे पर देने का रास्ता खोल दिया है और फलस्तीनियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। फलस्तीनी लोग कब्जे वाले वेस्ट बैंक में बस्तियों के विस्तार को किसी भी स्थायी शांति समझौते के लिए सबसे बड़ी बाधा मानते हैं। दुनिया के ज्यादातर देश भी इन बस्तियों को अवैध मानते हैं।