भारतीय विदेश सेवा दिवस उस दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जिस दिन भारतीय मंत्रिमंडल ने विदेश सेवा की स्थापना की थी। यह भारत के हितों को बढ़ावा देने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने में राजनयिकों और विदेश सेवा के अधिकारियों द्वारा किए गए अमूल्य योगदान की याद दिलाता है। यह दिन न केवल अतीत का सम्मान करता है बल्कि एक ऐसे भविष्य की भी आशा करता है जहां कूटनीति भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स साइट पर लिखा कि भारतीय विदेश सेवा दिवस 2023 के अवसर पर आईएफएस अधिकारियों को मेरी शुभकामनाएं। जैसे-जैसे भारत अधिक जटिल और अप्रत्याशित रूप से उभर रहा है, उनकी जिम्मेदारियाँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। जी20 की अध्यक्षता ने प्रदर्शित किया कि भारतीय कूटनीति वास्तविक अंतर ला सकती है। विश्वास है कि देश के बाकी हिस्सों की तरह, आईएफएस भी अमृत काल के दृष्टिकोण का जवाब देंगे।
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गौरतलब है कि भारत सरकार ने 9 अक्तूबर 1946 को विदेशों में भारत के राजनयिक, वाणिज्यि दूत संबधी और वाणिज्यिक प्रतिनिधित्व के लिये भारतीय विदेश सेवा की स्थापना की।
Extend my greetings to IFS officers on the occasion of Indian Foreign Service Day 2023.
As India rises in a more complex and unpredictable word, their responsibilities grow by the day. The G20 presidency demonstrated, that Indian diplomacy can make a real difference.… pic.twitter.com/EUw7sMEbTi
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) October 9, 2023
स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ विदेश और राजनीतिक विभाग का लगभग पूर्ण रूप से संक्रमण हो गया, फलस्वरूप विदेश मंत्रालय के रूप में एक नया मंत्रालय बनाया गया। भारतीय विदेश सेवा की स्थापना ब्रिटिश शासन के समय हुई, जब विदेश विभाग “विदेशी यूरोपीय शक्तियों” के साथ व्यापार करने के लिये बनाया गया था।
रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी