भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या को प्रेरणा स्रोत मानते हुए पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार, झूठे मुकदमों से त्रस्त होकर मिडिया महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम अनुपम पाण्डेय ने घोषणा करते हुए बताया कि मौजूदा सरकार पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों के मामलों में बैकफुट पर आ गयी है। जबकि सत्ता में काबिज पार्टी नेताओं ने भ्रष्टाचार व पारदर्शी भारत बनाएं जाने की बात कही थी।
वहीं पार्टी के भ्रष्ट नेता अपने बड़बोलेपन से बाज नहीं आ रहे हैं। खुद भाजपा सरकार के मंत्री अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर नहीं कर पा रहे हैं, उलटे समाचार प्रकाशित किये जाने पर पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। और पत्रकारों को आम जनता की तरह नसीहत दे रहे हैं।
भाजपा सरकार में चौथे स्तम्भ के लिए ना तो कोई निति है और ना ही कोई नियम कानून। वैश्विक महामारी काल में लगभग बंदी के कगार पर आ पहुंचे मझोले अख़बारों के लिए सरकार ने कोई व्यापक इंतजाम भी नहीं कर रखे हैं। जिससे यहाँ काम करने वाले पत्रकारों व अन्य कर्मियों के लिए बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होने लगी है।
आत्मनिर्भर भारत की बात करने वाले लोगों के मुंह से इस वर्ग के लिए किसी प्रकार का कोई बजट का प्रावधान न किया जाना दर्शाता कि कुछ पिछलग्गू मिडिया घरानों के भरोसे पूरी सरकार आम जनता को दिवा स्वप्न दिखाकर उन्हें साधने में जुटी हुयी है। जबकि पूर्व की सरकारों के नेताओं का मत था कि, “एक दिन आप का (जनता) बाकि सब दिन मेरे बाप का।” ऐसे लोग आज सत्ता से बाहर हैं।
आज जो लोग जिम्मेदारी भरे पदों पर बैठे हैं, वही लोग चुनाव के दौरान कहते नहीं थकते थे कि सत्ता में आने के बाद पिछले पंद्रह सालों में पहले की सरकारों में हुए भ्रष्टाचारों की जाँच कराई जाएगी। सत्ता के मद में मदांध हो चुके यही लोग अब स्वयं नौकरशाहों समेत भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए हैं। और पत्रकारों को नेता बनने की नसीहत दे रहे हैं। उनकी इस नसीहत को चुनौती मानते हुए मिडिया महासंघ ने आगामी चुनाव में ईमानदार और अच्छी छवि के पत्रकारों को चुनावी समर में उतरने का मन बनाया है।