वाराणसी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान (Union Education Minister Dharmendra Pradhan) ने कहा कि काशी तमिल संगमम (Tamil Sangamam) उत्तर और दक्षिण (North and South) की परंपराओं को जोड़ने वाला एक सेतु है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह संबंध आने वाली पीढ़ियों तक बना रहेगा। श्री प्रधान ने काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) के तीसरे चरण का उद्घाटन करते हुए कहा कि सांस्कृतिक एकता ही हमारे देश की कुंजी है। यह संगमम भौगोलिक दूरियों को समाप्त करने एवं आपसी समझ को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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नमो घाट पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा को अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए मूर्त रुप देना है। इस तरह के आयोजन से संभव है।
उन्होंने कहा कि अतिथियों को इस बार बाबा विश्वनाथ दर्शन, महाकुंभ मेला तथा अयोध्या स्थित राममंदिर में दर्शन करने को मिलेगा। राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के बाद आयोजित इस तमिल समागम के अतिथि भी भाग्यशाली हैं की आपको दर्शन का सौभाग्य मिलेगा।
श्री प्रधान ने महाकुंभ का जिक्र करते हुए कहा कि महाकुंभ ना केवल भारतीय बल्कि पूरे दुनिया के सनातनियों में नयी ऊर्जा का संचार किया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत की तरह तमिल भी देश की सबसे पुरानी भाषा हैं। तमिलनाडु में कोई ऐसा मंदिर नहीं जिसमें श्री काशी विश्वनाथ महादेव नहीं विराजते। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बार छह ग्रुप में तमिलनाडु से अतिथियों का आगमन होगा। जिनको काशी, प्रयाग तथा अयोध्या की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा। इस बार तमिल समागम अगस्त्य ऋषि पर पूरी तरह फोकस रहेगा।
उन्होंने बजट में उल्लेखित नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी तथा 22 भाषाओं के डिजिटल कुम्भ के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने प्रधानमंत्री के पंच प्रण को पुनः दोहराते हुए 2047 तक विकसित भारत की बात कही तथा राष्ट्रीय हित ही हमारी हित है को दोहराया। इस अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ एल मुरुगन ने कहा कि यह संगमम प्रधानमंत्री मोदी जी के एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार कर रहा है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से लगातार तीसरी बार काशी-तमिल संगमम् का आयोजन किया जा रहा है। इस बार यह आयोजन महाकुंभ के दौरान हो रहा है, जो इसे और अधिक ऐतिहासिक बनाता है।
उन्होंने बताया कि महाकुंभ जैसे विराट आयोजन में किसी जाति, पंथ, धर्म का भेदभाव नहीं है, और अब तक 51 करोड़ लोग पुण्य लाभ प्राप्त कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के मंत्र के तहत यह आयोजन देश की सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ करने वाला है।
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समारोह में तमिलनाडु के विभिन्न लोक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। इस अवसर पर सचिव शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार विनीत जोशी, अपर सचिव उच्च शिक्षा मंत्रालय सुनील कुमार बरनवाल, ईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो सी कामाकोटी, आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पांडा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार तथा भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री उपस्थित रहे।