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युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच द्वारा काव्य सग्रह का लोकार्पण

जयपुर. एम.आई रोड स्थित राजस्थान चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के भैरोसिंह शेखावत हाल में युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच,दिल्ली के तत्वावधान में राजस्थान प्रान्तीय कवि सम्मेलन, साझा संकलन उत्कर्ष काव्य सग्रह(द्वितीय) का लोकार्पण एवं साहित्यकार सम्मान समारोह आयोजित हुआ . इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार त्रिभवन कौल ने की. युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय के सानिध्य में संम्पन्न इस आयोजन में मुख्य अतिथि डा.बजरंग सोनी (वरिष्ठ स्त्रीरोग चिकित्सक एवं साहित्यकार), प्रो.शरद नारायण खरे (वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रभारी प्राचार्य /राजकीय पी.जी.कॉलेज .मंडला/मध्य प्रदेश ) वीणा चौहान(अध्यक्ष/राजस्थानलेखिकासाहित्यसंस्थान),युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच की राजस्थान प्रभारी प्रमिला आर्य (कोटा ), शकुंतला सरूपरिया,वरिष्ठ साहित्यकार,डा.अनंत भटनागर,वरिष्ठ शिक्षाविद एवं समाजसेवी, जितेन्द्र शर्मा पम्मी ,साहित्यकार/ कोटा, ओम नागर ,ज्ञानपीठ से पुरस्कृत प्रखर युवा साहित्यकार (कोटा) आदि सम्मिलित सभी विशिष्ट अतिथियों का शाल,पुष्प माल और प्रतीक चिन्ह देकर युवाउत्कर्ष साहित्यिक मंच की ओर से सम्मान किया गया.

प्रमिला आर्य (प्रभारी राजस्थान )एवं शिवानी शर्मा ने अतिथियों के सम्मान में स्वागत भाषण पढ़ा. मंजु वशिष्ठ की सुंदर माँ शारदे के वंदना के साथ प्रारंभ हुए इस समारोह में उत्कर्ष काव्य संग्रह (2) के मुख्यसंपादक के अतिरिक्त संपादक-मंडल के सदस्य सर्वश्री त्रिभवन कौल सुरेश पाल वर्मा जसाला,ओम प्रकाश शुक्ल,संजय कुमार गिरि, डा.सविता सौरभ एवं शिवानी शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति में 55 सशक्त रचनाकारों के साझा संकलन ‘’उत्कर्ष काव्य –संग्रह(द्वितीय)’’ का सम्मानीय अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया.

इस अवसर पर मंच के महामंत्री ने मंच के विषय में अपने विचार रखे तत्पश्चात मुख्य संपादक रामकिशोर उपाध्याय ने इस संकलन की विशेषताओं पर प्रकाश डाला और प्रो.शरद नारायण खरे में लोकार्पित पुस्तक के विषय में अपना लेख पढ़ा और सुंदर आवरण सज्जा एवं उत्कृष्ट रचनाओं के लिए सम्पादक मंडल सहित सभी सम्मिलित रचनाकारों को बधाई दी.
इस अवसर पर हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उत्कृष्ट लेखन के लिए प्रमिला आर्य को साहित्य भूषण, प्रो.शरद नारायण खरे, लक्ष्मणप्रसाद रामानुज लड़ीवाला,ओम नागर एवं जितेन्द्र शर्मा’पम्मी’ को साहित्यरत्न सम्मान एवं साहित्य गौरव सम्मान शकुंतला तंवर, वीणा सागर, भाग्यम शर्मा, किशोर पारीक अमित टंडन, शांतनु बरार,सुरेश गोस्वामी’सुरेश’ को दिया गया | साथ-साथ वरुण चतुर्वेदी, शोभा चंदर पारीक,प्रज्ञा श्रीवास्तव एवं विनीता सुराना को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए सारस्वत सम्मान किया गया |सभी आमंत्रित अतिथियों ने इस सुंदर आयोजन की भूरि –भूरि प्रशंसा की.

कवियों द्वारा पढ़ी पंक्तियाँ —प्रज्ञा श्रीवास्तव ने बहुत शानदार पढ़ा —
बेटी हूँ तो क्या मुझको अधिकार नहीं है जीने का
बेटे बेटी का भेद अभी भी बहुत अधिक है
शोभा चंदर पारिक ने पढ़ा —
शोभा को तेरी शान बढाने का हुनर दे
रोते हुए इंसा को हसाने का हुनर दे
शंकुंतला तंवर ने पढ़ा —
सारा उपवन पास तुम्हारे
मुझे मिली इक टहनी है
कवि सुरेश गोस्वामी ने पढ़ा —
अब सभी भाई बड़े होने लगे
इसलिए शायद घड़े होने
शेखर स्वप्न ने पढ़ा —
मेरे दयार से मेरा मयार ना देखिये
बड़ा किरदार रखता हूँ अदना से कद में
रंगमंच के प्रसिद्द कलाकार एवं कवि विजय दानिश ने भी बखूबी अपना काव्य पाठ किया —
कौन समझाए अब प्रीत की रीत को
जो पुजारी थे खुदा हो गए
उदय पुर की कवियत्री ज्योत्स्ना सक्सेना ने पढ़ा —
पुतले बन खड़े हैं पूरा निभाएं खुद को
परदे गिरा देना किरदार है तुम्हारे
जयपुर के कवि मुकेश शर्मा ने पढ़ा
हाँ मैं भी करता था कभी कविता
पर अब कहाँ लिख पाता हूँ कुछ भी
कवियत्री अंजली शर्मा ने पढ़ा —
मेरे कल की सुर्खियाँ पढूं या देखूं तेरी तरोताज़ा अंगडाईयों को

कवियत्री सपना शर्मा ने पढ़ा —-
मेरे शहर में सज़दा करके लौट जाने वालों के नाम भी अब याद नहीं
जयपुर की कवियत्री अर्चना शर्मा ने पढ़ा —
इक दिन अचानक प्यारा सा कुछ लिखते हैं
चन्द्र प्रकाश पारिक ने शानदार मुक्तक पढ़ा —
तुमको देखा तो होश खो बैठा
तू ही बतला मेरी खता क्या है
कवियत्री वीणा शर्मा सागर ने भी बहुत खूब पढ़ा —
आदमी को रहा ढूंढता आदमी
आदमी में रहा ही कहाँ आदमी

नवांकुर की कवियत्री मीनाक्षी माथुर ने पढ़ा —
औरत हूँ कोमल सी न समझो कमजोर मुझे
उलझी हूँ थोड़ी सी न परखो मुझे
उदय पुर से आई कवियत्री एवं साहित्यकार शकुन्तला सरुप्रिया ने भी बहुत सुन्दर ग़ज़ल कुछ यूँ पढ़ी —
अक्सर क्यों खो जाती बेटियाँ
बेघर क्यूँ हो जाती बेटियाँ
दुनिया में आते ही गम का
दस्तर क्यूँ हो जाती बेटियाँ
साहित्यकार त्रिभुवन कौल ने पढ़ा —
रिश्ते सारे सिमट गए तकनीकी औजारों में
चर्चा अब होती नहीं गलियों में बाजारों में
दिल्ली से आये साहित्यकार एवं कवि श्वेताभ पाठक ने जब अपना सुन्दर काव्य पथ किया तो सभी श्रोता मंत्र्मुघ्ध हो गए —

अरे मन , दिन दिन बीतत जात ।
काल कुठार लिए कर डोलत , देखत पल पल घात ।
श्वेत प्रभात काज सब करि ले , अन्यथा रात ठगात ।
कवि किशोर पारिक ने पढ़ा —
यारो मेरा मन उदास है
कैसे मैं झेलू होली
कवियत्री शिवानी शर्मा ने बहुत शानदार मुक्तक कुछ यूँ पढ़ा —
मेरी दीवानगी हद से ज्यादा उनको खलती है
नफरतें हिन् नफरतें जिनके दिल में पलती है
मिटा सकते नहीं हस्ती भ्रम जितना भी फैला लो
भुला देती हूँ मैं हंसकर जो भी उनकी गलती है
मुख्य अतिथि डॉ बजरंग सोनी ने अपने वक्तव्य के दौरान एक रचना कुछ यूँ पढ़ी —
एक रंग वजूद तेरी पहचान नहीं है
घर की छत कहीं से भी असमान नहीं

संकलन :संजय कुमार गिरि 

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