कार्तिक मास का प्रारंभ इस साल 14 अक्टूबर शरद पूर्णिमा से हो रहा है और यह मास कार्तिक पूर्णिमा तक चलेगा। इस मास में मौसम भी धीरे-धीरे करवट बदलने लगता है। महिलाएं इस मास में सुबह सूर्योदय के पूर्व स्नान करने के संकल्प लेती है और हल्की गुलाबी ठंड में ठंडे जल से स्नान करती है। कार्तिक मास का स्नान कुंआरी और विवाहिता दोनों महिलाओं के निए श्रेष्ठ बताया गया है।
करें यह दान-
कार्तिक मास की महिमा भगवान विष्णु ने ब्रह्माजी को बताई थी और कहा था कि इस मास के प्रताप से रोगियों के रोग दूर होते हैं और मानव को धन और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में दान करने का भी बड़ा महत्व बतलाया गया है। गरीबों और ब्राह्मणों को दान करने से श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है।
इसके साथ ही तुलसी, आंवला, गाय और अन्न दान का भी काफी महत्व है। कार्तिक मास में गाय को हरा चारा खिलाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस समय देव आराधना के साथ देवी-देवताओं के भजन से भी भक्तों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
इन वस्तुओं का करें त्याग-
कार्तिक मास में संयमित जीवनशैली का भी बड़ा महत्व है। सभी अवगुणों और तामसिक प्रवृत्ति का त्याग करने से भगवान विष्णु की कृपा जल्द मिल जाती है। कार्तिक मास में मांस, मदिरा और नशे की वस्तुओं का पूरी तरह त्याग करें। साथ ही कार्तिक मास में देव आराधना करने वालों और कार्तिक मास में स्नान, ध्यान करने वाले आराधकों को प्याज, लहसुन आदि का भी त्याग करना चाहिए।
कोमल शय्या का त्याग कर फर्श पर शयन करना चाहिए। इससे व्यवहार में विनम्रता आती है। अहम का त्याग होता है। इस महीने में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। देव आराधना में श्रीहरि, महादेव, तुलसी की पूजा का विधान है।