प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि सरकार किसानों से बात हेतु चौबीसों घण्टे तैयार है। केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर लगातार इस कार्य में लगे भी है। आंदोलन के नेताओं की हठधर्मिता के बाद भी सरकार ने वार्ता का पुनःप्रस्ताव भेजा है। लेकिन यह तय है कि सरकार विचौलियों के दबाब में नहीं आएगी।
वह किसानों का सम्मान कर रही है,आगे भी यह निति जारी रहेगी। किसानों को बिचौलियों से मुक्ति हेतु निर्णायक कदम उठाया गया है। इससे पीछे हटना किसान हित के विरुद्ध होगा।
अभूतपूर्व किसान सम्मान
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की अगली किस्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक बटन दबाकर जारी कर दी। देश के नौ करोड़ से ज्यादा किसान लाभार्थियों के खातों में अठारह हजार करोड़ रुपये तत्काल रूप से ट्रांसफर हो गए। प्रधानमंत्री ने छह राज्यों के किसानों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत भी की। किसान सम्मान निधि वर्तमान सरकार की अभूतपूर्व योजना है। इसके माध्यम से किसानों को सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके बीच में बिचौलिए नहीं है। किसानों के जनधन खाते में एक एक पाई पहुंच रही है।
बेनकाब हो रहे है विरोधी
किसानों से संवाद में नरेंद्र मोदी ने विरोधियों पर निशाना लगया। कह कि कुछ लोग ऐसा भ्रम फैला रहे हैं कि आपकी फसल का कोई कांट्रैक्ट करेगा तो जमीन भी चली जाएगी। ये लोग झूठ बोल रहे हैं। कॉन्ट्रेक्ट का जमीन से कोई मतलब नहीं है। यह केवल उपज के लिए होगा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसानों के नाम पर अपने झंडे लेकर जो खेल खेल रहे हैं,अब उनको सच सुनना पड़ेगा। ये वही लोग हैं जो वर्षों तक सत्ता में रहें. इनकी नीतियों की वजह से देश की कृषि और किसान का उतना विकास नहीं हो पाया जितना उसमें सामर्थ्य था। पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से सबसे ज्यादा बर्बाद छोटा किसान हुआ।
क्यों वंचित रहे बंगाल के किसन
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी कृषि कानून के विरोध में है। लेकिन अब तो लगता है कि वह काननू नहीं किसानों के विरोध में है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे आज इस बात का कष्ट है कि पश्चिम बंगाल के सत्तर लाख से अधिक किसान भाई बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। बंगाल के तेईस लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं। लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को इतने लंबे समय से रोक रखा है।
स्वार्थ की राजनीति करने वालों को जनता बहुत बारीक से देख रही है। जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते वो दल यहां किसान के नाम पर दिल्ली के नागरिकों को परेशान करने में लगे हुए हैं। देश की अर्थनीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं। तीस तीस साल तक बंगाल में शासन करने वालों ने बंगाल को बदहाल बनाया है। आज यही लोग किसानों को भ्रामित कर रहे है।
कानून से बढ़े किसानों के अधिकार
कृषि कानूनों ने किसानों के अधिकार बढ़ाये है। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज बेच सकते हैं। मंडी में अपनी उपज बेच सकते हैं। इसके अलावा जहां चाहें बेचने वहां बेचने का अधिकार दिया गया है। देश के किसान के पास खेत में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराने की योजना पर सरकार काम कर रही है। दशकों पुरानी सिंचाई योजनाओं को पूरा करने के साथ ही देशभर में Per Drop-More Crop के मंत्र के साथ माइक्रो इरीगेशन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। देश की एक हजार से ज्यादा कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा गया। इनमें भी एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार हो चुका है।