लखनऊ। ‘शब्दनाद’ डॉ अनामिका श्रीवास्तव (Dr Anamika Srivastava) का पहला कविता-संग्रह है। टीएचके गौरी गया द्वारा किया अंग्रेजी अनुवाद ‘Echoes of wads’ के शब्दनाद साथ-साथ है ताकि आज के युवा तक भी ये शब्दनाद पहुंच सके। आज एक कार्यक्रम के दौरान किताब का लोकार्पण प्रो आशीष चौहान (चांसलर), प्रो संगीता श्रीवास्तव (वाइस चांसलर) इलाहबाद यूनिवर्सिटी ने किया।
शब्दनाद (Shadbnaad) की अधिकांश कविताएं 80 के दशक में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान लिखी गई। न केवल लिखी गई बल्कि कादम्बिनी, हँस, साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग, नवभारत, जनसत्ता, अमृत प्रभात हिंदुस्तान जैसे नामी अखबार और पत्रिकाओं में प्रकाशित भी होती रहीं।
‘पीपल की बात’ कविता सीनेट हॉल के सामने बैठ कर लिखी गईं। उन संदर्भों में ये कविता-संग्रह इलाहाबाद की गाटी और पानी में रचा गया है। ये शब्द-संपदा ये विचार-संपदा इलाहाबाद की है और आज इसी विश्वविद्यालय में लोकार्पित है।
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कविता लिखी नहीं जाती, ख़ुद को लिखवा लेती है। शब्द को सीपी में घुसकर मोती-कविता बनना ही पड़े-शब्द-नाद हो जाये, शब्द ब्रह्म हो जाये-शब्द प्रणव ओंकार हो जाये, तो कविता होती है। अब ये नाद-प्रणव ओंकार ‘शब्दनाद’ आपके हाथों में है।