लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ में विश्व कविता दिवस पर छात्रों ने अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा के सृजनात्मक लेखन और अलंकृत तत्वों पर चर्चा करते हुए काव्य पाठ किया। जहां एक ओर आकर्ष यादव ने अपने कविता…मैं कभी कृष्णा सा हु नटखट। कभी हालदार सा बलशाली हु।। कभी भक्त हूं मैं बजरंगी सा। कभी आड़े आया बाली हूं।। पढ़ी।
लखनऊ विश्वविद्यालय में विश्व समाज कार्य दिवस का आयोजन
वहीं सर्वज्ञ अग्रवाल ने अपनी कविता “नारी हूं मैं” से सुन्दर रचना का पाठ करते हुए पढ़ा “कौन है तू, क्या है पहचान तेरी क्या है। तेरा अस्तित्व, पूछे ये दुनिया सारी।। कैसे बताऊं में पहचान अपनी, शब्दो में बताना आसान नहीं। मेरी अस्तित्व से यह दुनिया सारी, मेरे बिना यह सृष्टि है अधूरी।।”
अंग्रेजी काव्य पाठ की रचनाएं वैष्णवी सिंह एवं प्रतीक्षा राणा के नाम रही। जहां वैष्णवी सिंह ने प्यार के रंगों को कविता के माध्यम से उकेरा वहीं प्रतीक्षा ने न्याय और सामाजिक विषयों पर काव्य पाठ किया। विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ अलका सिंह ने भाषा व्याकरण और सृजनात्मक साहित्य के अलंकृत तत्वों पर चर्चा की।