• समय से पहचान व इलाज से ठीक हो जाता है कुष्ठ रोग
• कुष्ठ रोगियों से भेदभाव न करें, रखें भावनात्मक लगाव – डॉ पुरी
औरैया। जपनद से कुष्ठ रोग समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग तरह-तरह के प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में बुधवार से कुष्ठ रोग खोजी अभियान चलेगा। इसके तहत स्वास्थ्य टीम घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेगी। इसके लिए टीम गठित कर ली गई है। टीम हर ब्लॉक के चयनित गांवों में घर-घर जाकर कुष्ठ रोग से संबंधित जानकारियां देगी और यदि कोई कुष्ठ रोगी मिलता है तो उसको प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उपचार के लिए भेजेगी।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी डा शिशिर पुरी ने कहा कि कुष्ठ रोग कोई अभिशाप नहीं है। यह दीर्घकालीन संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक बैक्टीरिया से फैलता है। यदि कुष्ठ रोग की पहचान और उपचार शीघ्र न हो तो यह स्थाई दिव्यांगता का कारण बन जाता है। कुष्ठ रोगी से भेदभाव बिल्कुल न करें और न ही किसी प्रकार के अंधविश्वास या अफवाह पर विश्वास करें। कुष्ठ रोगियों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उनको समाज की मुख्यधारा में शामिल कर उनकी सहायता करनी चाहिए। समय पर पहचान और इलाज से कुष्ठ रोग ठीक हो सकता है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ विशाल अग्निहोत्री ने बताया की बुधवार को ब्लॉक भाग्यनगर के सौंधेमऊ गांव व से कुष्ठ रोगियों को घर-घर ढूंढ़ने की शुरुआत होगी। हर गांव में दो दिन टीम सर्वेक्षण करेगी। साथ ही कहा कि ऐसे घरों में जहां पहले से ही #कुष्ठ_रोगी हैं और दवा का सेवन कर रहे हैं वहां अन्य संदिग्ध कुष्ठ रोगियों के मिलने के ज्यादा आसार हैं। उन्होंने बताया की वर्तमान में कुल 85 कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है। कुष्ठ रोग का मुफ्त इलाज सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है।
निर्धारित दिनों में तलाशे जायेंगे कुष्ठ रोगी
- ब्लॉक भाग्यनगर के सौंधेमऊ गाँव में 9 व 10 नवंबर को
- ब्लॉक बिधूना के बनसाई गाँव में 11 व 12 नवंबर को
- ब्लॉक सहार के पूरा काल गाँव में 14 व 15 नवंबर को
- ब्लॉक अछल्दा के बोण्डेपुर गाँव में 16 व 17 नवंबर को
- ब्लॉक एरवाकटरा में ईश्वरपुर गाँव में 18 व 19 नवंबर को
- ब्लॉक अजीतमल के मुहारी गाँव में 21 व 22 नवंबर को
- ब्लॉक अयाना के क़स्बाजाना में 23 व 24 नवंबर को
- ब्लॉक औरैया के दयालपुर में 25 व 26 नवंबर को
कुष्ठ रोग के लक्षण
कुष्ठ रोग के नोडल अधिकारी ने बताया कि लेप्रोसी या कुष्ठ के दौरान शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं। यह निशान सुन्न होते हैं यानि इनमें किसी तरह का एहसास नहीं होता है। अगर इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो दर्द का एहसास नहीं होता। यह पैच या धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर होने शुरू हो सकते हैं, जो ठीक से इलाज न कराने पर पूरे शरीर में भी फैल सकते हैं।
संक्रामक रोग है लेप्रोसी
जिला अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट डा. अनूप गुप्ता बताते है कि लेप्रोसी एक संक्रामक रोग है। जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ, तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है। इस रोग में शरीर गलने के कारण विकृत हो जाता है। यह बीमारी बहुत धीमी रफ्तार से बढ़ने वाले बैक्टीरिया से फैलती है इसलिए पूरी तरह इसके लक्षण सामने आने में कई बार 4 से 5 साल का समय भी लग जाता है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर