दीपावली लाइट का त्योहार है जाे अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है. देश के हर हिस्से में बड़े पैमाने पर दीपावली काे उल्लास के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. लेकिन इस दाैरान पटाखाें, प्लास्टिक के सामान का ज्यादा उपयाेग प्रदूषण काे बढ़ावा देता है जाे कर्इ लाेगाें की स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाता है. यदि आप चाहे ताे इस बार इकाे फ्रेंडली दीपावली मनाकर प्रदूषण की समस्या काे कम करने में सहायता कर सकते हैं. आइए जानते हैं इकाे फ्रेंडली दीपावली मनाने के टिप्स के बारे में :-
समुदाय / समाज में संगठित हाेकर जश्न मनाएं
व्यक्तिगत समारोह की अपेक्षा सामुदायिक समारोह अधिक खुशी देने वाला हाेता है. साथ यह कम खर्चीला हाेता है. एक निश्चित जगह पर समाराेह का आयाेजन करने से जगह-जगह पटाखाें का प्रदूषण नहीं फैलता हैं. कम पटाखाें में भी दीपावली का भरपूर आनंद लिया जा सकता है.
समय का रखें ध्यान
दिवाली सेलिब्रेशन रात 10 बजे से आधी रात तक करना अच्छा रहता है. क्याेंकि नवजात शिशुओं , बच्चों व वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य काे अत्यधिक शोर व वायु प्रदूषण से खतरा हाे सकता है. इसलिए महत्वपूर्ण हाे जाता है निश्चित समय के बाद पटाखाें आदि का प्रयाेग ना करें. आपका यह कदम किसी कि स्वास्थ्य सलामत रखने में सहायक हाे सकता है.
पर्यावरण के अनुकूल करें सजावट
घर सजाने के लिए प्लास्टिक के फूलों के बजाय वास्तविक फूलाें का उपयाेग करें. रंगोली में भी कैमिकल युक्त पाउडर का उपयाेग न करके जैविक फूल पत्तियाें का उपयाेग करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा हाेता है. फूल से आने वाली खुशबू से घर महकता रहता है. साथ ही प्रदूषण का खतरा भी कम हाे जाता है.
पटाखाें में करें कटौती
रासायनिक पटाखे के बजाय केवल पर्यावरण के अनुकूल पटाखे खरीदें. पर्यावरण के अनुकूल पटाखे पुनर्नवीनीकरण कागज से बने होते हैं. इन पटाखों से उत्पन्न ध्वनि की सीमा प्रदूषण बोर्ड के गाइड लाइन के भीतर हाेती है. जाेकि ध्वनि प्रदूषण कम रखने में सहायक हाेते हैं.
मिट्टी के दीये
बिजली / चीनी के बजाय “मिट्टी के दीपक या दीये” से घर को सजाएं. मिट्टी के दीपक को लाइट के लिए ऑयल की जरूरत होती है, लेकिन ये प्रदूषण नगण्य है. दीए जलाना माैसमी बैक्टीरिया का समाप्त करने में सहायक हाेता है. यह बिजली के बिल में भी कटाैती करता है साथ ही घर की सुंदरता भी बढ़ता है.