अध्ययन में सामने आया हैं कि 35% मोटे बच्चों में 8 वर्ष की आयु से ही नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी)के लक्षण नजर आने लगते हैं.
यह अध्ययन करीब 635 बच्चों पर किया गया था, जिसमें पाया गया कि 3साल की आयु में जिन बच्चों की कमर की चौड़ाई अधिक होती है, उन्हें अगले 5 सालों में एनएएफएलडी के लक्षण सामने आने का खतरा दोगुना रहता है. (कोलम्बिया यूनिवर्सिटी की रिसर्च)
एक्सपर्ट : लिवर से शरीर के सभी विषैले तत्त्व निकलते हैं. लिवर में 5-10 फीसदी से अधिक फैट जमा होने पर फैटी लिवर होता है. स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार लें.
बच्चे में भी बीमारी का खतरा-
शोधकर्ताओं ने 9 से 14 साल के बच्चों की जीवनशैली पर अध्ययन किया. इस रिसर्च के मुताबिक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने वाली माताओं के बच्चों में मोटे होने का खतरा कम हो जाता है. बचपन में मोटापे से वयस्क होने पर होने वाली बीमारियों जैसे डायबिटीज, लिवर व दिल रोगों से समय रहते बचा सकते हैं. (अमरीका के हावर्ड टी। एच। चान पब्लिक हेल्थ स्कूल का शोध)
एक्सपर्ट : नियमित व्यायाम करें. नशा न करें. पौष्टिक भोजन लें. वजन नियंत्रित रखें. बच्चे को प्रतिदिन पार्क में घुमाएं. गर्भावस्था में वजन नियंत्रित रखने के लिए चिकित्सक से मिलें.