लखनऊ विश्वविद्यालय के 65वें दीक्षांत सप्ताह के अंतर्गत, लैंगिक संवेदीकरण प्रकोष्ठ (Gender Sensitization Cell) ने “Spaces” नामक अपनी महीने भर की एक पहल की शुरुआत विश्वविद्यालय के आर्ट्स क्वाड्रेंगल में थिएटर ग्रुप अदम्य द्वारा नुक्कड़ नाटक के प्रदर्शन के साथ की।
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इस प्रकोष्ठ का गठन कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने 2020 में किया था और तब से ये प्रकोष्ठ समय समय पर विभिन्न कार्यकमों द्वारा छात्र छात्रओं को लिंग समानता से जुड़े विषयों से अवगत कराता आया है। इसी अनुक्रम में 18 जनवरी 2023 को, विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच लिंग आधारित हिंसा, उत्पीड़न और लैंगिक समानता पर चर्चा शुरू करने के लिए कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
आज अपने पहले कार्यक्रम में, थिएटर ग्रुप अदम्य ने इंटिमेट पार्टनर हिंसा, छेड़खानी, विपरीत लिंग के साथ संबंधों में हिंसा आदि के विषय पर एक नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया। इस नाटक को 200 से अधिक छात्र छात्राओं ने देखा, जो वहां एकत्रित हुए थे। प्रदर्शन के बाद जेंडर सेंसिटाइजेशन सेल टीम, परफॉर्मर्स और दर्शकों के बीच जेंडर आधारित हिंसा के व्यक्तिगत अनुभवों पर चर्चा हुई।
दर्शकों ने लिंग, सेक्सुअलिटी, सेक्सिज्म की परिभाषाओं के बारे में अपनी शंकाओं को भी साझा किया। प्रकोष्ठ की कन्वीनर अर्थशास्त्र विभाग की प्रो रोली मिश्रा और उनकी टीम जिसमें डॉ प्रशांत, डॉ अनुपमा और डॉ माद्री शामिल थे, ने दर्शकों के सवालों का जवाब दिया और सभी को अपने आसपास किसी भी प्रकार के अन्याय के खिलाफ बोलने के लिए प्रोत्साहित किया।
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प्रोफेसर मिश्रा ने घोषणा की कि इसी पहल के तहत अगला कार्यक्रम अगले बुधवार को आयोजित किया जाएगा, जहां छात्र लैंगिक समानता के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपनी कविता और अन्य रचनात्मक कला रूपों को साझा कर सकेंगे।