Breaking News

लखनऊ विश्वविद्यालय : सोनभद्र जिले के आदिवासी गांवों में पंद्रह दिवसीय फील्ड ट्रिप किया प्रारंभ

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के स्नातकोत्तर छात्रों ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के आदिवासी गांवों में विभागाध्यक्ष डॉ केया पांडेय के निर्देशन में पंद्रह दिवसीय फील्ड ट्रिप प्रारंभ किया है। उत्तर प्रदेश के आदिवासी परिदृश्य के प्रतिनिधित्व में इसके महत्व के कारण इस क्षेत्र को चुना गया है। भारत में एकमात्र जिला होने के नाते, जो 4 राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के साथ अपनी सीमा साझा करता है, सोनभद्र में 17 जातीय समूह हैं जिन्हें भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति की सूची में जोड़ा गया है।

लखनऊ विश्वविद्यालय : सोनभद्र जिले के आदिवासी गांवों में पंद्रह दिवसीय फील्ड ट्रिप किया प्रारंभ

 

चूंकि इस क्षेत्र और इसके लोगों पर वर्तमान साहित्य नगण्य है, इसलिए नृविज्ञान विभाग के छात्रों ने नीतिगत मामलों और नृवंशविज्ञान संबंधी आंकड़ों के बारे में रिपोर्ट देने के सकारात्मक प्रयास में इस क्षेत्र में कार्य करना प्रारंभ किया है। इस अध्ययन का विशेष महत्व इस तथ्य से परिलक्षित होता है कि यह क्षेत्र पहले भी नक्सली गतिविधियों से ग्रस्त रहा है और यहां तक कि भारत सरकार द्वारा इसे रेड कॉरिडोर क्षेत्र में भी माना गया है।

नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहला विश्वविद्यालय होने के नाते, प्रो आलोक कुमार राय, माननीय कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में, चौथे सेमेस्टर में एक अनिवार्य प्रश्न पत्र को जोड़ा गया है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में यह परिवर्तन विश्वविद्यालय के नृविज्ञान पाठ्यक्रम के उत्थान के लिए उठाए गए कई उपायों में से एक है। यह छात्रों को विभिन्न प्रकार की सूचनाओं और उनकी सटीक व्याख्याओं को प्राप्त करने के लिए मदद करेगा। यह न केवल छात्रों के ज्ञान को समृद्ध करेगा बल्कि अब तक बहिष्कृत और कम प्रतिनिधित्व वाले आदिवासियों की स्तिथि पर प्रकाश डालने में भी मदद करेगा।

पच्चीस छात्रों की इस टीम ने सामाजिक संस्थानों के प्रलेखन, भोजन की आदतों, लोक गीतों, बुनियादी ढांचे, राजनीतिक भागीदारी, नृवंशविज्ञान, महिलाओं की स्थिति, विकास परियोजनाओं और वैश्वीकरण के प्रभाव सहित विविध विषयों को शोध के लिए चुना है। टीम का उद्देश्य न केवल ऐतिहासिक और तुलनात्मक डेटा ढूंढना है जो सांस्कृतिक विकास और प्रवासी प्रणाली को इंगित कर सकता है, बल्कि जनजातीय लोगों की राय, समस्याएं और दृष्टिकोण जानने और सरकार को उनके बारे में जानकारी प्रदान करने का भी लक्ष्य है।

छात्र इन क्षेत्रवासियों को वर्तमानं में चल रही आदिवासी लाभकारी सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करने के उपाय भी कर रहे हैं। ऐसा करने में वे भावी सामाजिक डॉक्टरों और नृवंशविज्ञानियों के रूप में अपनी भूमिकाओं को पूरा करने की उम्मीद करते हैं ताकि सोनभद्र के जनजातियों लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ सकें और वे एक दिन बेहतर जीवन जी सकें।

About reporter

Check Also

ऊर्जा मंत्री तक पहुंचा चरखारी में बिजली व्यवस्था की बदहाली का मामला, विधायक बोले- 10-12 घंटे मिल रही बिजली

महोबा:  विधानसभा चरखारी क्षेत्र में बदहाल बिजली व्यवस्था का मामला अब प्रदेश सरकार के ऊर्जा ...