मलमास Malamas को हिन्दू शास्त्रों में बड़ा ही पवित्र माना गया है। यही वजह है की इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस माह में व्रत, त्यौहार इत्यादि का बड़ा विशेष महत्त्व है।
16 मई से 13 जून के मध्य चल रहा Malamas
इस वर्ष में Malamas मलमास 16 मई से 13 जून के मध्य रहेगा। मलमास में ज्येष्ठ मास की अधिकता रहती है, इस दौरान ज्येष्ठ मास 2 माह का होता है। 13 जून तक विवाह, गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
- कभी-कभी एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या में दो बार संक्रांति आ जाती है, उसे क्षय मास कहते हैं।
- अमावस्या से अमावस्या तक जिस माह में सूर्य का किसी भी राशि में संक्रमण नहीं होता है, तो वह अधिकमास कहलाता है।
- अधिकमास और क्षय मास दोनों ही मलमास माने जाते हैं।
कैसे बनता है अधिकमास या मलमास
पंचांगानुसार तीन वर्षों तक तिथियों का क्षय होता है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से करीब 10/11 दिन छोटा होता है। इस तरह तिथियों का क्षय होने से तीसरे वर्ष एक माह बन जाता है। तिथियों का क्षय होते-होते तीसरे वर्ष एक माह बन जाता है। इस कारण हर तीसरे वर्ष में अधिक मास होता है। जिस चंद्र मास में सूर्य संक्राति नहीं होती, वह अधिक मास कहलाता है और जिस चंद्र मास में दो संक्रांतियों का संक्रमण हो रहा हो उसे क्षय मास कहते हैं।
- मलमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
- अधिक मास में किए दान-पुण्य और धार्मिक आयोजन का कई गुना फल देने वाले बताए गए हैं।