इंदौर से लगभग 90 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक पर्यटक स्थल हैं मांडूश् जिसे खुशियों का शहर भी कहा जाता है। यहां पर आप आम, इमली और बरगद के सैंकड़ों पेड़ देख सकते हैं। बारिश के बाद मांडू की खूबसूरती और हरियाली बढ़ जाती है। यहां की हरियाली ऐसी लगती है जैसे चारों तरफ पन्ना रत्न बिखरा हुआ हो।
मांडू की बेहतरीन वास्तुकला देखने के लिए दूर−दूर से पर्यटक आते हैं। यहां की छोटी−छोटी पहाड़ियों पर बने खूबसूरत किले हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।मांडू में देखने के लिए बहुत कुछ है जैसे जामा मस्जिद, जहाज महल, हिंडोला महल, नीलकंठ मंदिर, रेखा कुंड, रानी रूपमती महल और होशंग शाह का मकबरा।
होशंग शाह का मकबरा संगमरमर से बनाया गया है और इसमें अफगान वास्तुकला की खूबसूरत झलक है। शाहजहां ने अपने चार कारीगर भेजे थे इस मकबरे को देखने की लिए ताकि वह भी ताजमहल के अंदर ऐसा ही मकबरा बना सकें। जहाज महल को सुल्तान गियासउद्दीन खिलजी ने बनवाया था।
यह महल देखने में बिलकुल ऐसा लगता है मानो कोई जहाज पानी में तैर रहा हो। दो झीलों के बीच बना यह सुंदर महल सभी को चकित कर देता है। हिंडोला महल की दीवार एक तरफ से झुकी होने के कारण यह महल बिल्कुल एक झूले की तरह प्रतीत होता है। कहा जाता है कि रानी रूपमती इस शर्त पर बाज बहादुर से शादी के लिए तैयार हुई थीं कि वह नर्मदा नदी का पानी मांडू जरूर लाएंगे और रेखा कुंड इस शर्त को पूरा करता है। रूपमती महल रेखा कुंड के किनारे बनवाया गया था। यह महल बाज बहादुर ने अपनी रानी रूपमती के लिए बनवाया था। इसी महल में रानी नर्मदा नदी का खूबसूरत नजारा देखती थीं।
मांडू से 35 किलोमीटर की दूरी पर धार शहर है। यह परमार राजाओं की राजधानी हुआ करता था। बाद में इस पर मुसिलम शासकों का शासन शुरू हो गया। यहां के स्मारक में हिंदू, अफगान और मुगल वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है। मांडू जाने के लिए आप रेल, हवाई या सड़क मार्ग से जा सकते हैं।